आगरा में एक हजार एकड में नया इंडस्ट्रियल एरिया डेवलेप होगा
आगरालीक्स.. आगरा का नया इंडस्ट्रियल एरिया 90 किलोमीटर दूर विकसित होगा, इसके लिए एक हजार एकड जमीन चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं, यहां टीटीजेड की पाबंदी नहीं होगी। सभी तरह की इंडस्ट्री डेवलेप की जा सकेंगी।
आगरा में मंगलवार को कमिश्नरी में आर.के. सिंह, प्रमुख सचिव (अवस्थापना एवं उद्योग) ने बैठक की, इसमें उद्यमियों ने अपनी समस्याएं रखीं और उनकी समस्याओं के समाधान पर विचार रखे गए। कहा गया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा फरवरी-2016 में औद्यागिक सैक्टर्स का जो वर्गीकरण वाइट, ग्रीन, औरेंज व रैड श्रेणियों में किया गया था, उसकी पृष्ठभूमि व परिप्रेक्ष्य अलग था और उस वर्गीकरण को बिना समझे ताज ट्रिपेज़ियम ज़ोन (टी.टी.जैड.) क्षेत्र के बनाये गये विज़न प्लान में लागू कर दिया गया, जो उचित नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव, आर.के. सिंह ने आगरा में पर्यावरण एवं उद्योग दोनों को ही आवश्यक हैं, उद्योगों के रोजगार नहीं हैं और बिना पर्यावरण के समाज नहीं है। उन्होंने यह बात भी रखी कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तार्किक आधार पर सही तथ्यों को रखना आवश्यक है ताकि न्यायालय उन्हें समझ सके और पर्यावरण और उद्योग दोनों की सुरक्षा हो सके।
बाह में एक हजार एकड में नया औद्योगिक क्षेत्र
आगरा की बाह तहसील टीटीजेड में नहीं है, ऐसे में टी0टी0जेड0 के बाहर तहसील-बाह में 800-1000 एकड़ का औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने हेतु भूमि चिन्हित करने के निर्देश भी दिये गये ताकि इस क्षेत्र के उद्यमी टी0टी0जेड0 के प्रतिबन्धों से प्रभावित हुए बिना उद्यम स्थापित कर सकें।
विजन डॉक्यूमेंट पर उठाए सवाल
विज़न प्लान के मसौदे में उद्योगों पर रोक एवं स्थानान्तरण का प्रस्ताव बिना वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया है। अभी तक कोई भी अध्ययन नहीं किया गया है कि पर्टिकुलेट मैटर (पीएम-10) का स्त्रोत क्या है और किस स्त्रोत के कारण कितना कितना वायु प्रदूषण हो रहा है। बिना किसी ऐसे अध्ययन के विज़न प्लान बनाया जाना दोषपूर्ण है, यह बात आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव के0सी0 जैन द्वारा रखी गयी, जिन्होंने यह भी बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आईआईटी कानपुर को टी.टी.जैड. क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्त्रोतों का अध्ययन दिया गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी प्रतीक्षित है। जैन द्वारा यह भी बताया गया कि ‘नीरी’ ने वर्ष 2010 में मुम्बई के वायु प्रदूषण का अध्ययन कर उद्योगों का मात्र 1.88 प्रतिशत ही योगदान पाया था और प्रमुख रूप से पक्की व कच्ची सड़कों का वायु प्रदूषण में 30 प्रतिशत योगदान था। वायु प्रदूषण के संबंध में सी0पी0सी0बी0 के डाटा का संदर्भ देते हुए यह भी कहा कि नाइट्रोजन ऑक्साइड व सल्फर ऑक्साइड गैसें निर्धारित मानकों के अंतर्गत ही हैं केवल पीएम-10 ही सीमा से अधिक है, जिसके लिए टूटी सड़कें, कूड़े का जलना, सूखी यमुना व हरियाली की कमी है।
पूर्व विधायक केशो मेहरा द्वारा भी जोरदारी से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दि0 30 दिसम्बर 1996 का संदर्भ देते हुए यह बात रखी कि टी0टी0जेड0 क्षेत्र में दि0 8.9.2016 को लगाई गई तदर्थ रोक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध है और विज़न प्लान में भी उद्योगों पर रोक का प्रस्ताव निर्णय के विपरीत होने के कारण न्यायालय के आदेश की अवमानना है, जो समाप्त होनी चाहिए।
एफमैक के अध्यक्ष पूरन डावर द्वारा 5-सितारा होटलों को रैड कैटेगरी में रखने के कारण विज़न प्लान में उनकी स्थापना पर रोक का विरोध किया और कहा कि कोई भी बड़ा होटल पर्यावरणीय नियमों की अनुपालना के बिना नहीं चलता है, वे एसटीपी लगाते हैं और ज़ीरो डिस्चार्ज होता है। लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राकेश अध्यक्ष द्वारा भी विज़न प्लान में उद्योगों पर रोक के औचित्य पर प्रश्न उठाया।
नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष, राजीव तिवारी, पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल, बलवीर सरन गोयल आदि द्वारा भी विज़न प्लान का विरोध किया गया। मथुरा के उद्यमी कृष्णदयाल अग्रवाल द्वारा मथुरा के उद्योगों से ताजमहल पर विपरीत प्रभाव न पड़ने की बात रखी और मथुरा को टी0टी0जेड0 क्षेत्र से बाहर निकालने की बात रखी। फिरोजाबाद के उद्यमियों द्वारा भी वायु प्रदूषण न किये जाने के बात रखी गई और विज़न प्लान का विरोध किया।
सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रमूख सचिव, आर0के0 सिंह ने कहा कि
1. उद्योगों पर दि0 8.9.2016 को लगाई गई तदर्थ रोक के पुनर्विचार हेतु केन्द्र सरकार को लिखा जायेगा क्योंकि यह रोक प्रदेश हित में नहीं है।
2. सी0पी0सी0बी0 द्वारा किया गया वर्गीकरण भी टी0टी0जेड0 क्षेत्र के लिए लागू किया जाना उचित नहीं होगा और ताजमहल की सुरक्षा के लिए वायुप्रदूषणकारी उद्योगों पर रोक लगनी चाहिए न कि वर्गीकरण के आधार पर जो कि अलग परिप्रेक्ष्य में किया गया है।
3. उद्यमियों की यह कमेटी अपने इस प्रकरण को तथ्यों के साथ शासन को प्रस्तुत करे।
4. शीघ्र ही उद्योगों के स्वप्रमाणीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और कुछ उद्योग का ‘थर्ड पार्टी’ द्वारा निरीक्षण किया जायेगा और केवल कुछ ही उद्योग विभाग द्वारा निरीक्षित किये जायेंगे ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके।
5. यू0पी0एस0आई0डी0सी0 के प्रबन्ध निदेशक के रूप में भी कार्य कर रहे प्रमुख सचिव, आर0के0 सिंह ने कहा कि औद्योगिक प्लॉटों के आवंटन के एक सॉफ्टवेयर यात्रा-डॉट-कॉम की तरह से शीघ्र ही लॉन्च किया जायेगा, जिसमें उपलब्ध प्लॉटों का विकल्प होगा और उपलब्ध प्लॉट में से उद्यमी चयन करने हेतु स्वतन्त्र होगा। ऐसी पारदर्शी योजना से उद्यमियों को प्रदेश में उद्योग स्थापित करने का अवसर प्राप्त होगा।
6. टी0टी0जेड0 के बाहर तहसील-बाह में 800-1000 एकड़ का औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने हेतु भूमि चिन्हित करने के निर्देश भी दिये गये ताकि इस क्षेत्र के उद्यमी टी0टी0जैड0 के प्रतिबन्धों से प्रभावित हुए बिना उद्यम स्थापित कर सकें।