Autism Day 2023 : Doctor & Parents help Autism Children to live better life #agra
आगरालीक्स…. तारे जमीं पर मूवी में जिस बच्चे को आटिज्म से पीड़ित दिखाया था ऐसे बच्चे एक हजार में दो हैं। आगरा में आटिज्म से पीड़ित बच्चों की जिंदगी को बेहतर करने में डॉक्टरों के साथ ही उनके परिजन जुटे हुए हैं। आज आटिज्म डे है।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थान चिकित्सालय आगरा में डा ज्ञानेंद्र कुमार, निदेशक की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मानसिक संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर (डॉ) दिनेश राठौर , डा.नीरज यादव विभागाध्यक्ष बाल रोग विभाग,डॉ विशाल सिन्हा, विभागाध्यक्ष, मनोरोग विभाग एन.मेडिकल कॉलेज द्वारा कार्यशाला को संबोधित किया गया। यह कार्यशाला विभिन्न स्पेशल स्कूल में ऑटिज्म के समस्या से पीड़ित परिवारों एवं उनके शिक्षकों के लिए आयोजित की गई । जिसमें शहर के विख्यात स्पेशल स्कूल टियर्स, आशा आदि के शिक्षक, छात्रों एवं उनके परिजनों ने भागीदारी की। इस कार्यक्रम में ऑटिज्म से पीड़ित परिजनों ने अपनी समस्याएं रखीं। जिसका निदान उपलब्ध कराया गया। इन पीडित बच्चों के द्वारा अत्यधिक मोबाइल का प्रयोग एवं उन पर दुष्प्रभाव के विषय पर चर्चा हुई । अधिकांशत परिजनों का मत था कि अत्यधिक मोबाइल के उपयोग से ऑटिज्म हो सकता है, जो एक भ्रांति है। अगर किसी बालक को ऑटिज्म नहीं है तो मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से नहीं सकता। लेकिन अत्यधिक मोबाइल के प्रयोग से बालक में सामाजिक व्यवहार की क्षमता विकसित करने में समस्या आती है। जिससे बालक अंतर्मुखी हो सकता है और जो बालक पूर्व से ऑटिज्म से पीड़ित है उसमें सुधार की संभावना कम हो सकती है। अतः इस प्रकार के बच्चों को मोबाइल के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए। इस कार्यशाला में इस प्रकार के बच्चों के द्वारा विकलांगता प्रमाण पत्र एवं विकलांगता पेंशन में आने वाली कठिनाइयों के ऊपर भी चर्चा हुई। इस समस्या के विषय में समाज के विभिन्न प्रबुद्ध लोगों सिविल सोसाइटी नीति निर्धारक प्रशासक आज के साथ सम्मिलित प्रयास पर जोर दिया गया। इस प्रकार के बच्चे अक्सर जिद्दी, चिडचिडे और उग्र हो जाते हैं। इस विषय पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि इन बच्चों में चिड़चिड़ापन किसी दूसरे मानसिक रोग की उपस्थिति अथवा संवाद हीनता की हताशा के कारण सकता है। जिसका विस्तृत परीक्षण किसी मनोचिकित्सक के द्वारा किया जाना आवश्यक है। यदि किसी दम्पत्ति के एक बालक यह समस्या है तो आवश्यक नहीं है कि अन्य बालकों में इस प्रकार की कोई समस्या की संभावना हो। धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।