आगरालीक्स… बलदेव छठ कल दो सितंबर को है। यह ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का जन्मोत्सव है। मंदिरों में पूजा, मेले, कुश्ती दंगल होंगे। जानिये दाऊजी महाराज की महिमा।
मंदिरों में होंगे विविध आयोजन
श्रीगुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भण्डार के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि बलदेव छठ का सम्बन्ध श्री बलराम से है। भाद्रपदशुक्ल पक्ष की षष्ठी को ब्रज के राजा और भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज का जन्मदिन ब्रज में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। ‘देवछठ’ के दिन दाऊजी में मेला आयोजित होता है। दाऊजी के मन्दिर में विशेष पूजा एवं दर्शन होते हैं।
पौराणिक संदर्भ
🌹 दाऊजी महाराज के जन्म के विषय में ‘गर्ग पुराण’ के अनुसार देवकी के सप्तम गर्भ को योगमाया ने संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया। भाद्रपद शुक्ल षष्ठी के स्वाति नक्षत्र में वसुदेव की पत्नी रोहिणी जो कि नन्द बाबा के यहां रहती थी, के गर्भ से अनन्तदेव ‘शेषावतार’ प्रकट हुए। इस कारण श्री दाऊजी महाराज का दूसरा नाम ‘संकर्षण’ हुआ। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि बुधवार के दिन मध्याह्न 12 बजे तुला लग्न तथा स्वाति नक्षत्र में बल्देव जी का जन्म हुआ। उस समय पाँच ग्रह उच्च के थे। इस समय आकाश से छोटी-छोटी वर्षा की बूँदें और देवता पुष्पों की वर्षा कर रहे थे
दाऊजी महाराज का नामकरण
🏵 नन्द बाबा ने विधि-विधान से कुलगुरु गर्गाचार्य जी से दाऊजी महाराज का नामकरण कराया। पालने में विराजमान शेषजी के दर्शन करने के लिए अनेक ऋषि, मुनि आये। ‘कृष्ण द्वैपायन व्यास’ महाराज ने नन्दबाबा को बताया कि यह बालक सबका मनोरथ पूर्ण करने वाला होगा। प्रथम रोहिणी सुत होने के कारण रोहिणेय द्वितीय सगे सम्बन्धियों और मित्रों को अपने गुणों से आनन्दित करेंगे
💥 बल्देव जी कृष्ण के बड़े भाई थे, दोनों भाइयों ने छठे वर्ष में प्रवेश करने के साथ ही समाज सेवा एवं दैत्य संहार का कार्य प्रारम्भ किया दिया था। उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ मिलकर मथुरा के राजा कंस का वध किया।
एक दिन किसी बात को लेकर दाऊजी महाराज जी कृष्ण से रुष्ट हो गये। इस बात को लेकर दाऊजी महाराज ने कालिन्दी की धारा को अपने हल की नोंक से विपरीत दिशा में मोड़ दिया। जिसका प्रमाण आज भी ब्रज में मौजूद है। ठाकुर श्री दाऊजी महाराज मल्ल विद्या के गुरु थे। साथ ही हल-मूसल होने के साथ वे ‘कृषक देव’ भी थे। आज भी किसान अपने कृषि कार्य प्रारम्भ करने से पहले दाऊजी महाराज को नमन करते हैं। पौराणिक आख्यान ब्रज के राजा पालक और संरक्षक कहे जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम पुराणों के अनुसार बलराम जी के रूप में शेषनाग के शेषयायी विष्णु भगवान के निर्देश पर अवतार लिया था।