आगरालीक्स…। आगरा में भैया दूज (यम द्वितया पर बहनों के यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है लेकिन यमुना स्नान के बाद भाइयों का टीका लगाकर उऩकी दीर्घायु की कामना करने की पंरपरा कम होती जा रही है।
यमुना में स्नान के बाद भाइयों का टीका
रोशनमोहल्ला निवासी वृद्धा कुसुम देवी का कहना है कि पहले यमुना साफ होती थी और हम लोग सुबह हाथीघाट पर जाकर यमुना में स्नान करने के बाद भाइयों का टीका करते थे लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म हो गया है। बेलनगंज निवासी बीना शर्मा का बताती हैं कि यमुना नदी के सटे कुछ गांवों में बहनें ही यमुना में स्नान कर टीका करती हैं। यमुना के घाट भी अब साफ नहीं हैं। मथुरा में जरूर यह परंपरा कायम है।
पौराणिक महत्व
ब्रजमंडल में भैया दूज के महत्व पर ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा पौराणिक महत्व बताते हुए कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीष देती हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। ब्रजमंडल में इस दिन बहनें यमुना नदी स्नान करके अथवा नदी में खड़े होकर भाइयों को तिलक लगाने की परंपरा थी।
बेरी का भी होता है पूजन
इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की कामना करके तिलक लगाती हैं। भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए
बहन के घऱ भोजन करने से दूर होते हैं कष्ट
यदि बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराये तो भाई की उम्र बढ़ती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है
इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल भी लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए निम्न मंत्र बोलती हैं
♦गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।
♦इसी प्रकार इस मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है
💥 सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे”
इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं। भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री खिलाती हैं। संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। इस सन्दर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा। भैया दूज की कथा भी सुनाई जाती है।
भाई दूज तिलक मुहूर्त
🌟 द्वितीय तिथि प्रारंभ 05 नवम्बर की रात्रि 11:23 मिनट से।
🍁 द्वितीया तिथि समाप्त 06 नबम्बर की शाम 07:44 बजे तक
🌻 भाई दूज तिलक मुहूर्त दिन प्रातः08:00 से 9:30 बजे तक “शुभ” का चौघडिया मुहूर्त (06नबम्बर 2021)
🌻 इसके बाद दोपहर12:00 बजे से साँय 04:40तक .चर लाभ अमृत के तीन बहुत बेहतरीन मुहूर्त रहेंगे