
पांच मार्च को बाजारशुकुल के महोना पश्चिम ग्राम पंचायत में कुछ पक्षियों के मरने की सूचना मिली थी, जिस पर प्रशासन ने मृत पक्षियों के बिसरा एकत्र कर जांच के लिए पशु रोग प्रयोगशाला, भोपाल भेजा था। इसकी रिपोर्ट 13 मार्च को प्रशासन को मिली। इसमें पक्षियों के मौत का कारण हाइलीपैथो जेनिक एबीएन इनफ्लूएंजा बताया गया। इसके बाद जिला स्तरीय बर्ड फ्लू टास्क फोर्स का गठन कर ग्राम पंचायत के पूरे सारी, चांदगढ़, पूरे कौशिक गौशल, पूरे पहा, पूरे गोसाई, पूरे सूचित व नया पुरवा में शनिवार को सर्वे किया गया। सर्वे के बाद बर्ड फ्लू से ग्रसित पक्षियों को चिन्हित किया गया। शनिवार रात ही उन्हें मारने का निर्णय लिया गया। रात में ही ग्यारह टीमों ने इन गांव की 883 मुर्गियों व 100 कबूतरों को मार दिया। इन सभी मरे पक्षियों के शवों बोरियों में भर लिया गया। इन्हें दफनाया जायेगा। जिलाधिकारी जगतराज ने बताया कि ग्राम पंचायत की दस किलोमीटर की परिधि में आने वाले सभी पक्षियों को मारने का निर्देश दिया गया है। मारे जा रहे पक्षियों मुआवजा भी दिया जाएगा।
प्रतापगढ़ तक खौफ : अमेठी में बर्ड फ्लू की दस्तक ने प्रतापगढ़ में भी लोगों की नींद उड़ा दी है। बेल्हा में तीन साल पहले प्रशासन ने हजारों मुर्गियों को मरवा दिया था। तब करीब आधा दर्जन लोग बीमार पड़ गए थे। इसलिए अमेठी की खबर के बाद जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। पशु चिकित्सा विभाग ने जागरूकता के लिए कमर कसी है। सोमवार को विभाग की बैठक भी होगी। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. गजेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक सभी ब्लाकों के विभागीय कर्मियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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