आगरालीक्स…मिठाई और गिफ्ट पैक की तरह आनलाइन बेची जा रही ‘ब्रज की रज’ यानी मिट्टी. सनातनियों में आक्रोश, कहा—यह पाप है
ब्रज की रज यानी मिट्टी पावन है. यह वही रज है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में खेले हैं. इसी ब्रज की रज में मिल जाने की कामना लेकर ऋषि मुनि कड़ी तपस्या किया करते हैं. इस रज को माथे पर लगाने के लिए देवी देवता भी आकुल रहते हैं. आज भी श्रद्धालु ब्रज की रज को माथे पर लगाकर अपने आपको धन्य मानते हैं. लेकिन आज ब्रज की इस रज का व्यापार भी किया जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार यह रज आनलाइन शॉपिंग साइट पर भी उपलब्ध है. इसकी कीमत 1200 से 3500 रुपये प्रति किलो तक है.
आनलाइन बेचे जाने पर सनातनियों में आक्रोश
ब्रज की रज का इस तरह से व्यापार होने पर कई सनातनियों में आक्रोश है. वृंदावन के गोधुलीपुरम स्थित श्रीहरिदास धाम में अध्यात्म रक्षा मंच की बैठक में इसको लेकर आक्रोश भी जताया गया. मंच के संस्थापक बिहारी लाल वशिष्ठ, बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत हरिदास संप्रदाय के अनुयायी आनंद बल्लभ गोस्वामी और प्रदीप गोस्वामी ने कहा कि रज को बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसको बेचा जाना पाप है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
गिरिराज जी की शिला बेचने पर दर्ज हुआ था मुकदमा
वर्ष 2021 में गिरिराज जी की शिला आनलाइन बेचे जाने का प्रयास हुआ था. इसकी जानकारी होने पर संतों में आक्रोश फैल गया था. उन्होंने गोवर्धन थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया था. वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी इसका विरोध किया था.