आगरालीक्स…आगरा की फोग्सी की अध्यक्ष डॉ जयदीप मल्होत्रा ने स्तनपान को लेकर नए तथ्य बताए हैं, वे नेशनल ब्रेस्ट काॅन्फ्रेंस ब्रेस्टकाॅन-2018 में स्तनपान पर व्याख्यान देंगी।
फेडरेशन आॅफ आॅब्सटेटिक एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया (फाॅग्सी) की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा बताती हैं कि स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मकसद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान मां के दूध के महत्व की जानकारी दी जाती है। नवजात बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान है। देश में स्त्री रोग विशेषज्ञों के सबसे बडे संगठन फाॅग्सी भी हर साल इस जागरूकता कार्यक्रम को आगे बढाने में मदद करती है। डा. जयदीप ने बताया कि फाॅग्सी की अध्यक्ष रहते हुए उनके नेतृत्व में इस वर्ष फाॅग्सी ब्रेस्ट कमेटी की ओर से चार से पांच अगस्त को नेशनल ब्रेस्ट काॅन्फ्रेंस ब्रेस्टकाॅन-2018 इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की जा रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि हर बच्चे को मां के दूध का अधिकार प्राप्त हो और माताओं को ब्रेस्ट में होने वाले तमाम परिवर्तनों, खतरों आदि के प्रति जागरूक करने और समस्या का आभास होने पर निदान के लिए आगे बढने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इसमें देश भर के स्त्री रोग विशेषज्ञ एकत्रित होंगे और महिलाओं में स्तन के विकास, विकार आदि से जुडे मामलों पर मंथन के साथ ही अपने विचार रखेंगे। फाॅग्सी की पब्लिक अवेयरनेस कमेटी द्वारा एक विशेष कार्यक्रम होगा, जिसमें 10000 महिलाओं को इस दिशा में जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है। फाॅग्सी के पूर्व अध्यक्ष डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि मां का दूध हर बच्चे के लिए किसी भी वरदान से कम नहीं है। बच्चे के पैदा होते ही सबसे पहले पीले रंग का दूध जो मां की छाती से उतरता है वो उसके शिशु को कई जानलेवा बीमारियों से लडने के लिए शक्ति प्रदान करता है। खास बात यह है कि दूध पिलाते समय मां और उसके शिशु के बीच एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता भी बनता है। आधुनिक माताएं अपने फिगर मेंटेन करने के चक्कर में बच्चों को स्तनपान नहीं करा रही हैं तो यह न सिर्फ बच्चे में कुपोषण को बढाता है, बल्कि भविष्य में ऐसी माताओं के लिए भी स्तन कैंसर या ऐसे अनेकों खतरे पैदा कर सकता है। बच्चा मां के गर्भ में ही पलकर बडा होता है इसलिए उसे मां के दूध की रासायनिक बनावट की आदत होती है। यही वजह है कि जन्म के छह महीनों तक मां के दूध पर बच्चे का अधिकार है।

शिशु के लिए स्तनपान के फायदे…..
– मां का दूध बच्चे के लिए प्रकृति का सबसे बेहतरीन आहार है। इसमें मौजूद तत्व आपके शिशु की आंतों के लिए अनूकूल हैं। इसलिए यह आसानी से पच जाता है।
– स्तनपान शिशु को अपने शरीर का तापमान सामान्य रखने में मदद करता है। उसे गर्माहट प्रदान करता है।
– त्वचा से त्वचा का स्पर्श मां और शिशु के बीच भावनात्मक बंधन को और मजबूत बनाता है।
– मां का दूध शिशु को संक्रमण से लडने में मदद करता है। इसमें रोग प्रतिकारक एंटीबाॅडीज होते हैं जो शिशु की गेस्टोएंटेराइसिस, सर्दी-जुकाम, छाती में इनफेक्शन और कान के संक्रमण आदि से रक्षा करते हैं।
– मां के दूध में लाॅग चैन पाॅलीअनसेचुरेटेड वसीय अम्ल होते हैं, जो शिशु के मस्तिष्क के विकास में बेहद जरूरी हैं।
– स्तनपान से लाभकारी प्रोबायोटिक बैक्टीरिया मिलते हैं, जो शिशु के पाचन तंत्र में किसी प्रकार की सूजन, दर्द या जलन को दूर कर सकते हैं।
– यह सडन इन्फेंट डेथ सिंडोम के खतरे को कम करता है।
– स्तनपान करवाने से बचपन में बच्चे की सांस फूलने और गंभीर एग्जिमा विकसित होने का खतरा कम हो सकता है।
– बच्चे को कम से कम छह महीनों तक स्तनपान करवाने से उसे बचपन में होने वाले ल्यूकेमिया से सुरक्षा मिल सकती है।
– थोडा बडा होने पर जब कभी शिशु बीमार हो और कुछ खा न पा रहा हो, तो ऐसे में अगर वह स्तनपान कर रहा हो, तो उसे काफी आराम मिल सकता है। मां का दूध उसे जल्दी ठीक होने में भी मदद कर सकता है।
– मां का दूध बच्चे को अलग-अलग स्वाद के लिए तैयार करता है। मां के खाने के अनुसार शिशु दूध का स्वाद बदल सकता है, मगर फाॅर्मूला दूध में ऐसा नहीं होता। इसलिए आपका शिशु जब ठोस आहार खाना शुरू करेगा, तब उसे नए स्वाद से शायद इतनी दिक्कत नहीं होगी।
– छह महीने के आस-पास शिशु को ठोस आहार करने पर भी उसे स्तनपान करनावा जारी रखने से उसे भोजन से होने वाली एलर्जी के प्रति सुरक्षा मिल सकती है।
– स्तनपान शिशु को लंबे समय तक स्वस्थ रहने के लिए लाभदायक है।
– स्तनपान करने वाले शिशुओं के सामान्य से अधिक मोटा होने या वयस्क होने पर मधुमेह होने की संभावना कम होती है।
मां के लिए कैसे लाभकारी…..
– शिशु को नियमित स्तनपान कराने वाली महिलाओं में आगे चलकर टाइप टू मधुमेह, स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर या स्तन संबंधी अन्य रोग होने का खतरा कम रहता है।
– स्तनपान कराने से मां के गर्भाशय को सिकुड़ कर वापस गर्भावस्था से पहले की स्थिति में आने में मदद मिलती है।
– स्तनपान मां को तनाव मुक्त रखने में भी मदद करता है, क्योंकि प्रसव के बाद कई बार माताएं तनाव के दौर से गुजरती हैं। यह आपके और आपके शिशु के बीच के संबंध को और मजबूत करता है।
– स्तनपान कराने वाले महिलाओं को अपना वजन बढने से रोकने और बढ जाने की स्थिति में उसे कम करने में मदद मिलती है। इसलिए यह आपके लिए भी फायदेमंद है।
– स्तनपान हडिडयों को कमजोर होने से बचाता है और महिलाओं में हदय रोगों के खतरे को भी यह कम करता है।
– स्तनपान करवाने वाली माताओं को बोतल और निप्पल धोने और उन्हें कीटाणुमुक्त बनाने या फिर फाॅर्मूला दूध तैयार करने की जरूरत नहीं है।
– मां के दूध के लिए लागत, तापमान या स्वच्छता के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। मां का दूध एकमात्र ऐसा भोजन है, जो हमेशा सही समय, सही जगह, सही मात्रा और सही तापमान पर उपलब्ध रहता है।
– स्तनपान आपको व्यस्त दिनचर्या से नियमित फुरसत लेने और अपने शिशु को दूध पिलाने के दौरान लेटने और बैठने का मौका देता है।
– जब स्तनपान बढिया तौर से चल रहा होता है, तो आप अपने शिशु को बढते और विकसित होते हुए देखकर असीम शांति और सफलता का अहसास कर सकती हैं।
यह रखें सावधानियां…..
– बहुत ज्यादा टाइट ब्रा न पहनें। इससे बच्चे को ठीक से दूध पिला सकेंगी। टाइट ब्रा पहनने से रेशेज हो सकते हैं।
– आगे से खोली जा सकने वाली ब्रा पहनें।
– ब्रेस्ट फीडिंग से पहले ब्रेस्ट को बेबी वाइप से जरूर पोंछें। ब्रेस्ट की मसाज करें। इससे सैगिंग की समस्या नहीं होगी।
– ब्रेस्ट पर बच्चे का थूक लगा रहने दें। इससे कोई नुकसान नहीं होता। निपल में कोई परेशानी है, तो घी लगा लें।
– किसी हेयर रिमूवल क्रीम से ब्रेस्ट के बाल हटा लें। इससे फीड कराने में कोई दिक्कत नहीं होती।
– अगर दूध पिलाते समय निप्पल में दर्द हो, तो यह क्रेक की वजह से हो सकता है।
– कई बार ब्रेस्ट किसी डक्ट में फीड रूकने से दूध इकठठा होने लगता है और गांठ सी बन जाती है, जो दर्द करती है। इसमें इनफेक्शन होने पर मवाद भर जाता है। इसकी ठीक से जांच करवा लें।
– ब्रेस्ट में भारीपन न होने दें। जमा दूध को ब्रेस्ट पंप से बाहर निकाल दें। भारीपन और जकडन ज्यादा हो तो सिकाई करके ब्रेस्ट को खाली करें। कसे हुए कपडे न पहनें।
– स्तनपान ठीक से बच्चे को कराना जरूरी है। वरना कुछ दिनों में स्तनपान न कराने से दूध इकठठा होकर कई दिक्कतें पैदा कर सकता है। ऐसा होने पर बुखार हो सकता है।
– लंबे समय तक स्तनपान न करवाने से दूध पस में बदल सकता है। कई बार ऐसे में सर्जरी भी करवानी पड सकती है।
जानिए कुछ तथ्यों के बारे में …..
– राष्टीय परिवार सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई भारतीय राज्यों में 45 प्रतिशत से ज्यादा नवजातों को जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता है।
– जिन नवजातों को जन्म के पहले एक घंटे के भीतर मां का दूध नहीं पिलाया जाता, उनमें मां का दूध पीने वाले नवजातों के मुकाबले मृत्यु का खतरा 80 प्रतिशत तक ज्यादा होता है।
– प्रसव के बाद पहली बार आया दूध यानि काॅलस्टम पोषक तत्वों से भरपूर होता है। एंटीबाॅडी युक्त होता है। पीले रंग का यह दूध, जो प्रसव के ठीक बाद आता है शिशुओं को दस्त और सांस की बीमारियों से बचाता है।
– विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार छह महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। स्तनपान कराने में भारत विश्व के 150 देशों में 78वें नंबर पर है। जन्म के पहले घंटे में केवल 44.6 फीसदी शिशुओं को मां का दूध मिलता है।