Chhaya Anand, God was born in Agra#agranews
आगरालीक्स(28th August 2021 Agra News)…शहर में उत्सव का वातावरण है. लोगों में आनंद है, उत्साह है. भगवान का जन्म हो चुका है.
श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर हरीपर्वत में अर्हं योग मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज श्री पार्श्वनाथ कथा को आगे बढ़ाया। शनिवार की कथा में उन्होंने कहा कि आपके शहर में उत्सव का वातावरण छा गया है। नगर में लोगों में आनंद है, उत्साह है। तीर्थंकरो के पंचकल्याणक के विषय में आपको बहुत अच्छे से सुनने समझने का अवसर मिला है। सारा विश्व आपके इस आनंद को देख रहा है। तीर्थंकर गर्भ मे आ चुके हैं। गर्भ ठहर चुका है। तब अनेक देवियां माता की सेवा करने आती हैं। गर्भ में रहने वाला बालक धीर धीरे वृद्धि को प्राप्त हो रहा है। वह बहुत निर्मलता के साथ रहता है, जैसे महल मे स्फटिकमणि रखी हो।
उन्होंने बताया कि तीर्थंकर गर्भ से ही तीन ज्ञान के धारी होते हैं। वह अनेक गुणों को धारण किए हुए हैं। उनके गर्भ में रहने से माता को कोई भार नहीं होता है। जैसे दर्पण मे कितना भी वस्तुओं का, लोगों का प्रतिबिंब पड़े तो उसे भार नहीं पड़ता। गुरु जी ने आज आचार्यों द्वारा प्राचीन शास्त्रों में लिखी हुई गर्भ संस्कार की विथि बताई है। आचार्यों ने कहा है कि जैसे जैसे गर्भ बढ़े संस्कार करने चाहिए। तीर्थंकरों के भी होते हैं। आप अपने मन में सदा बहुत ऊंचे, प्रशस्त, अच्छे, शुद्ध भाव रखो कि मेरा पुत्र अरिहंत बने, सिद्ध बने, वीर वंश की वृद्धि करने वाला हो।
उन्होंने कहा कि गुरुवर ने गर्भ संस्कार की पूर्ण विधि और मंत्र बताए हैं। शेषाक्षत के क्षेपण को मंत्रों के साथ करके संस्कार किए जाते हैं। तीनों लोक रूपीकमल को हर्षित करने वाले भगवान पार्श्वनाथ का जन्म हो जाता है। आनंद अपार होता है। नारिकयों को भी क्षण भर के लिए चैन मिलता है। स्वर्गों के देवों के यहां घंटे, शंख, सिंहनाद, असंख्यात भेरिया, अनेक बाजे अपने आप बजने लगते हैं। तीनों लोकों में सूचना पहुंच जाती है। आश्चर्य चकित करने वाला एक महापुरुष जिनके चले जाने के बाद भी जिनका धर्म, जिनका शासन, जिनकी शिक्षाएं, जिनका ज्ञान निरन्तर प्रवाहित होता रहता है। ऐसे पुण्यवान जीवों के माध्यम से धर्म तीर्थं की प्रभावना का जब समय आता है, तब उनका जन्म होता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ और मुनिराज का पाद प्रक्षालन मुंबई से आए भक्तों ने किया। मंगलाचरण राशि जैन एव तनू जैन, ईशा जैन,दिया जैन के द्वारा किया गया। मुनिराज के मंगल आरती श्रमण ज्ञान भारती छात्रावास मथुरा के छात्रों द्वारा की गई। मंच का संचालन मनोज जैन के द्वारा किया।