आगरालीक्स.. आगरा में 35 प्लस ग्रुप की महिलाओं को जिंदगी को बिंदास तरीके से जीने के टिप्स दिए गए। सोचिए आपको नहीं पता कि आप कब पैदा हुए, इसका कोई प्रमाण नहीं कि किस वर्ष या तारीख को आपका जन्म हुआ था। आपका कोई परिचित भी आपको यह न बता सके कि आपकी उम्र कितनी है। तब आप सिर्फ उस उम्र के होंगे जितनी आप महसूस कर रहे हों। विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत महिलाओं से जुड़े एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने 35 की आयु के बाद महिलाओं की शारीरिक और मानसिक स्थितियों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
क्लब 35 प्लस और इंडियन मीनोपाॅज सोसायटी (आईएमएस) आगरा चैप्टर की ओर से शुक्रवार को होटल क्लाक्र्सशीराज में ‘केयर फाॅर योर बाॅडी एंड साउल’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से आईं क्लीनिकल साइकोलाॅजिस्ट डा. प्रियंका मित्तल ने मध्यम आयु में महिलाओं की मानसिक अवधारणा पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वक्त हर समय एक जैसा नहीं रहता इसलिए वक्त के साथ हमें अपनी सोच बदलनी चाहिए। बढती उम्र में जब हम कुछ शारीरिक समस्याओं से रूबरू होते हैं तो अचानक ही उन्हें स्वीकार करने में दिक्कत होती है और इसका सीधा असर हमारी मानसिक स्थिति पर भी पडता है। ऐसे में टूटने के बजाय खुद में इतनी क्षमता पैदा कर लेनी चाहिए कि हम हर परिस्थिति का सामना कर सकें।
मुंबई से आईं बाॅलीवुड फेम काॅस्मेटोलाॅजिस्ट नीलम गुलाटी ने बढती उम्र में भी खुद को जवां और खूबसूरत रखने पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिशु की त्वचा में अधिक मात्रा में कोलेजन होने की वजह से वह सुंदर और मुलायम होती है, लेकिन उम्र बढने के साथ यह कम होता जाता है। मिडिल एज में आने पर त्वचा में पर्याप्त मात्रा में कोलेजन बना रहे, इसके लिए प्रोटीनयुक्त डाइट लेने की जरूरत होती है। लेजर फेशियल इसका दूसरा विकल्प है, जो त्वचा के अंदरूनी भाग में पहुंचकर ढीले पड चुके कोलेजन को टाइट करती है। त्वचा को फ्रेश रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में आॅक्सीजन की जरूरत होती है। प्रजापिता ब्रहमकुमारी ईश्वरीय विवि की प्रतिनिधि अश्विना बहन ने कहा कि मन, बुद्धि, कर्म ये तीनों ही स्वच्छता और मलिनता के हिसाब से चलते हैं, क्योंकि जहां मन में स्वच्छता होती है बुद्धि उसका सही निर्णय करती है और जब बुद्धि सही निर्णय करती है तो कर्म श्रेष्ठ, सुखदायी और परोपकारी होता है। इस अवसर पर आईएमएस आगरा चैप्टर की सचिव डा. सविता त्यागी, मीनाक्षी मोहन, सुधा कपूर, मोनिका अग्रवाल, गरिमा हेंदेर, पूनम सचदेवा, पुष्पा पुरपानी आदि मौजूद थे।
क्लब 35 प्लस कीं को-आॅर्डिनेटर अशु मित्तल ने अतिथियों का स्वागत किया, उन्होंने बताया कि 40 से 60 वर्ष की आयु के बीच महिलाओं के शारीरिक और मानसिक बदलावों पर महत्वपूर्ण कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित की जाती हैं, ताकि स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों के साथ ही विभिन्न नई जानकारियों से उन्हें अवगत कराया जा सके।

उम्र के साथ बढती है कुशलता…..
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि उम्र बढने के साथ तथ्य याद रख पाना भले मुश्किल हो लेकिन हमारी कुशलता बढ़ती है। पढ़ने की आदत हो या अंकगणित की समस्या हो, उसमें आप बेहतर करने लगते हैं। मिडिल एज में आपकी तर्क करने की क्षमता बढ़ती है। मुश्किल परिस्थितियों का हल निकालने की क्षमता भी उम्र बढ़ने के साथ बेहतर होती जाती है। ऐसी कोई उम्र नहीं है जिसमें हम हर चीज में बेहतर हों या ज्यादातर चीजों में बेहतर हों। ऐसा माना जाता है कि 30 से 40 की उम्र तक आप शारीरिक तौर पर सबसे ज्यादा सक्षम होते हैं जबकि मानसिक तौर पर आप 40 से 60 के बीच सबसे बेहतर स्थिति में होते हैं।
मीनोपाॅज की स्थिति को न होने दें खुद पर हावी…..
फाॅग्सी की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा ने मीनोपाॅज की स्थिति को खुद पर हावी न होने देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर खान-पान, फिटनेस, लाइफस्टाइल ठीक है तो वो 60 साल की उम्र में भी युवा की तरह अपनी जिंदगी जी सकते हैं। 40 की उम्र के बाद कुछ बीमारियां और शारीरिक समस्याएं बहुत आम हो जाती हैं, जैसे जोड़ों का दर्द, ब्लड प्रेशर, शुगर, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, सिर में दर्द, कमजोरी, कमर दर्द आदि। इनमें से मीनोपाॅज की वजह से भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जिसके लिए डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए।