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Devotthan Ekadashi 2022: Know the importance and worship method of this Ekadashi from astrologer Ashima Sharma

आगरालीक्स…देवोत्थान एकादशी पर जागेंगे श्रीहरि विष्णु. मांगलिक कार्य होंगे शुरू. ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा से जानिए इस एकादशी का महत्व और पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा

शुक्रवार यानी कल सुबह से घरों में शंख, घंटा, घड़ियाल की आवाज के साथ उठो देवा, बैठो देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास की गूंज सुनाई देगी. ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा का कहना है कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार दुनिया के पालनहार भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद कल जागेंगे. भगवान विष्णु का शयनकाल समाप्त होने के साथ ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाएगी. भगवान हरि विष्णु के जागने के दिन को देवोत्थान एकादशी कहते हैं. वैदिक रीति—रिवाज के अनुसार कातिर्​क मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान हरि यानी विष्णु क्षीणसगर में शयन को चले जो हैं और कार्तिक शुल्क पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है.

भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. श्री विष्णु के नींद से उठने के साथ ही शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. वैदिक काल से इस दिन तुलसीजी के विवाह आयोजन के साथ मंगल कार्य प्रारंभ हो जाते हैं.

पौराणिक कथा
एक समय भगवान नारायण से माता लक्ष्मी जी ने कहा, हे नाथ! आप दिन रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों—करोड़ों वर्ष तक सो जाते हैं. इससे समस्त चराचर का नाश हो जाता है. इसलिए आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें. इससे मुझे भी कुछ समय के लिए विश्राम करने का समय मिल जाएगा.

देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि
प्रात:काल व्रत का संकल्प लेने के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए.
घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए.
एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए.
इस दिन रात में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए.
रात के समय परिवार के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु समेत सभी देवी—देवताओं का पूजन करना चाहिए.
भगवान को शंख, घंटा आदि बजाकर उठो देवा, बैठो देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाए कार्तिक मास, गाना चाहिए.

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