आगरालीक्स….. इलाहाबाद में डॉ रोहित गुप्ता की मरीज की मौत के बाद तीमारदारों द्वारा बेरहमी से पिटाई करने के बाद आरोपी पकड लिए गए, इसके बाद हडताल भी समाप्त हो गई। डॉक्टर अपने काम में जुट गए, लेकिन डॉक्टरों के आंदोलन को शासन ने गंभीरता से लिया, इस मामले में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद के दो डॉक्टरों पर कार्रवाई कर दी है।
इलाहाबाद कचहरी के समीप आनंद हास्पिटल के चिकित्सक डा.रोहित गुप्ता पर 11 अप्रैल की रात तीमारदारों ने हमला कर दिया था। इसके विरोध में इलाहाबाद मेडिकल एसोसियेशन ने 12 अप्रैल को चिकित्सकीय सेवाएं ठप कर इलाहाबाद लखनऊ मार्ग पर चक्काजाम कर दिया था। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के साथ मेडिकल कालेज और एसआरएन अस्पताल के चिकित्सक भी इस हड़ताल में शामिल हो गए थे। इस मामले में डा.दिलीप चौरसिया और डा. मनीषा द्विवेदी सहित नौ चिकित्सकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। शासन ने पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की थी। जिलाधिकारी ने शासन को भेजी रिपोर्ट में डा.दिलीप और डा.मनीषा पर एसआरएन अस्पताल की सेवाएं बाधित करने का आरोप लगाया है। इससे पूर्व तत्कालीन मंडलायुक्त बादल चटर्जी के निर्देश पर बनी जांच समिति ने डा.चौरसिया को प्राइवेट प्रैक्टिस करने का दोषी पाया था। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा अनुभाग) राज प्रताप सिंह ने दोनो रिपोर्ट को आधार बनाकर डा.दिलीप चौरसिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उन्हें महानिदेशालय चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबद्ध कर किया गया है.
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