आगरालीक्स(25th August 2021 Agra News)… सभी व्रतों का राजा है श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत। इसे करने से मिलेंगे आप को पांच विशेष शुभ आशीर्वाद। रात में 45 मिनट का शुभ मुहूर्त। जानिए रात्रि में पूजा का शुभ मुहूर्त।
इस बार 30 अगस्त को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
श्री कृष्ण जन्मोत्सव पूरे देश में हर्षोल्लास, पूर्ण श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस व्रत को व्रतराज कहते हैं। सभी व्रतों में यह व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के गुरु ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदयरंजन शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी को लेकर विद्वानों में हमेशा मत-मतांतर रहा है। वास्तव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार एक ही दिन सोमवार 30 अगस्त 2021 को ही मनाना सर्वोत्तम है। प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और सिंह राशि के सूर्य में ही हुआ था, जो केवल 30 अगस्त दिन सोमवार को ही होगा।
कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृष राशि में चंद्रमा व सिंह राशि में सूर्य था। इसलिए श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है। इसीलिए प्रभु श्रीकृष्ण के अनन्यभक्त रातभर अपने इष्टदेव प्रभु के जन्म की खुशी में झूमते, नाचते, मंगल गीत गाते हैं। भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं।
शैव और वैष्णव मतानुसार 30 अगस्त को ही मनाई जाएगी
उन्होंने बताया कि पंचांगों के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि रविवार 29 अगस्त 2021 को रात्रि 11:25 मिनट पर आरंभ होगी। यह सोमवार 30 अगस्त 2021की रात्रि 01.59 पर समाप्त होगी। इस वर्ष 30 अगस्त 2021 सोमवार को ही रोहिणी नक्षत्र और सिंह राशि के सूर्यदेव होंगे, जिसमें प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिये 30 अगस्त को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी शैव और वैष्णव मतानुसार मान्य रहेगी, क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि का जब मिलन होता है, तब वैष्णव मत अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना सर्वोत्तम कहां गया है। इसलिए इस बार जन्माष्टमी सोमवार को मनाना उत्तम होगा।
45 मिनट का शुभ मुहूर्त
इस पर्व पर पूजन का शुभ मुहूर्त रात में 23:58 से 00:44 तक करीब 45 मिनट का है। जन्माष्टमी का पारण 31 अगस्त दिन मंगलवार को सूर्योदय के पश्चात ही होगा। अष्टमी तिथि में गृहस्थजन और नवमी तिथि में वैष्णवजन व्रत पूजन करते हैं। यही शास्त्रोक्त पौराणिक महत्व है।
पूजन विधि
भक्तजन नियमतः भगवान की छठी, बरही इत्यादि बड़े धूमधाम से मनाते हैं। लगभग 12 दिन तक झांकी सजी रहती है। किंतु समयाभाव के कारण ज़्यादातर गृहस्थ जन केवल जन्मदिन के दिन ही पूजापाठ करते हैं अथवा मंदिरों में दर्शन कर लेते हैं। विस्तृत पूजा केवल मंदिरों ही होती है।
मंगलवार को करें व्रत का पारण
पंडित ह्रदयरंजन शर्मा ने बताया कि जो भक्त अपने घर के मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं। वे सबसे पहले कृष्णजी या लड्डू गोपाल की मूर्ति को एक खीरे के अंदर स्थापित करें, जिसे मां का गर्भ कहते हैं। जन्म के समय पर लड्डू गोपाल को खीरे के अंदर से निकालकर, गंगा जल से स्नान कराकर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, केसर के घोल से स्नान कराएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। सुंदर वस्त्र पहनाएं। इत्र लगाएं रात्रि बारह बजे भोग लगाकर पूजन करें। वह अपने प्रभु की आरती करें। उसके बाद भक्त प्रसाद ग्रहण करें। व्रती लोग दूसरे दिन सूर्य उदय के पश्चात 31 अगस्त मंगलवार को श्री गोगाजी नवमी वाले दिन व्रत का पारणा करें।
यह पांच आशीर्वाद निश्चित रूप से मिलते हैं
चारों तरफ से सफलता के संदेश आने लगते हैं। भगवान श्रीकृष्ण कर्मयोगी थे। अत: कर्म क्षेत्र में मनचाही ऊंचाइयां चाहते हैं तो इस व्रत को अवश्य करें।
परिवार में कलह या तनाव हो तो इस व्रत से निश्चित रूप से शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है।
धन, धान्य, संपदा, समृद्धि के लिए इस व्रत से शुभ अन्य कोई व्रत नहीं है।
नि:संतान दंपत्ति अगर इस दिन चांदी के कान्हा जी लाकर विधिविधान से पूजन करें तो उन्हें अवश्य ही संतान प्राप्ति का आशीष मिलता है।
मनचाहा प्रेम, शादी और शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता के लिए भी यह व्रत सर्वश्रेष्ठ है।