
करानी होगी पीड़िता के नाम एफडी
आरोपी वी. मोहन ने हाईकोर्ट के सामने बेल एप्लीकेशन दायर की थी। रेप के आरोप में कुड्डोलौर की महिला कोर्ट साल 2002 में उसे सात सात की सजा के साथ ही दो लाख रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दे चुकी है। आरोपी के दो सहयोगियों पर लगाए गए आरोप गंभीर नहीं थे।
क्या कहा हाईकोर्ट ने
आरोपी को अंतरिम जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि आरोपी और विक्टिम के बीच समझौता हो सके।
हाईकोर्ट ने कहा, “यह उसी तरह का केस है जिसमें मध्यस्थों के जरिए समझौता हो सकता है।
इस मामले में अगर आरोपी को जेल में रखकर समझौते की कोशिश की जाएगी तो उससे अच्छा नतीजा नहीं आ सकता। जहां चाह वहां राह, के आधार पर हम आरोपी को एक मौका देना चाहते हैं ताकि वह खुद का और पीड़िता का जीवन बेहतर बना सके। कोर्ट ने तिरुवल्लूर की जिला अदालत को मध्यस्थता करने का आदेश देते हुए यह भी कहा कि प्रक्रिया के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए की नाबालिग पीड़िता एक बच्चे की मां बन चुकी है और, इस पूरी घटना में बच्चे और उसकी मां का कोई दोष नहीं है। बच्चे को सामाजिक मान्यता मिलना बेहद जरूरी है। आरोपी को पीड़िता के नाम एक लाख रुपए की एफडी भी करानी होगी ताकि उसको आर्थिक मदद मिल सके।
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