
शिखर ने बताया कि मैं कभी बीटेक के बाद कॉरपोरेट कंपनी में नहीं जाना चाहता था। मेरी रुचि शोध और अकादमिक क्षेत्र में है और मैं यही करना चाहता हूं। इस बारे में मेरी कोई दूसरी राय नहीं रही। मेरे सभी शिक्षकों और मेरे परिवार ने इस फैसले में मेरा साथ दिया है।
शिखर ने आईआईटी परिसर में ही रहते हुए किसी बड़े सिस्टम में लगे कंप्यूटर (एंबेडेड सिस्टम) के हार्डवेयर की सुरक्षा पर पीएचडी करने का फैसला किया है।
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कहा कि यह चलन रहा है कि उंची रैंक वाले एक-दो छात्र पीएचडी के लिए आईआईटी में रुकते हैं लेकिन शीर्ष रैंकर यहां रूक जाएं, ऐसा तो दुर्लभ ही है।
चक्रवर्ती ने कहा कि यह संस्थान सभी स्नातकों को अनुसंधान क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित करता है लेकिन अधिकतर इंजीनियर नौकरी का विकल्प चुनते हैं। विज्ञान शाखा के कुछ छात्र रूक जाते हैं।
आईआईटी निदेशक ने कहा कि हमने शीर्ष स्तर के सभी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की एक सूची तैयार की है। यदि हमारे किसी भी छात्र का कोई शोधपत्र वहां चुना जाता है तो हम पूरी आर्थिक मदद करते हैं। इसके अलावा हमने दोहरी पीएचडी के लिए अन्य विश्वविद्यालयों के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया भी शुरू की है।
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