आगरालीक्स…आगरा में 4 बार आए जगद्गुरू शंकराचार्य जी. इस डॉक्टर परिवार से था उनका विशेष लगाव. आगरा से ही कराई परम धर्म संसद 1008 के गठन की घोषणा…पढ़ें स्मृति शेष
जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का आज देहावसान हो गया. वह इस समय हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरू थे. आगरा में भी शंकराचार्य जी का चार बार आगमन हुआ है. आगरा के डॉ. दीपिका उपाध्याय के परिवार से उनका विशेष लगाव रहा. वर्ष 2016 में वह पहली बार अपने इस शिष्य उपाध्याय परिवार के निमंत्रण पर आगरा आए थे. परमहंसी गंगा आश्रम से ग्वालियर होकर दिल्ली जाते सम यवे आगरा अए. आगरा वासियों के प्रेम तथा आग्रह से अभिभूत होकर वे इसके बाद कई बार आए. वर्ष 2016 में उन्होंने यहां रात्रि प्रवास भी किया और पत्रकारों से भी बात की. उनहोंने भक्तों को दर्शन दिए और प्रदेश की तत्कालीन राजनीति पर खुलकर अपनी बात रखी. इस दौरान वे धर्म को भ्रष्ट करने वाले तथाकथित गुरुओं पर भी जमकर बरसे. अगले दिन वे दोपहर तीन बजे डॉ. दीपिका उपाधय के पुष्पांजलि बाग स्थित आवास से दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

वर्ष 2017 में वे फिर आगरा आए. तब डॉ. दीपिका उपाध्याय के ससुर श्री गोपाल दास शर्मा के निधन पर उन्होंने फोन पर उपाध्याय परिवार को सांत्वना दी. इसके बाद वे दिल्ली से ग्वालियर जाते समय दीपिका उपाध्याय के निवास पर एक घंटा रूके. हालांकि इस दौरान वे केवल शोकग्रस्त परिवार से ही मिले और उन्हें ढांढस बंधाकर चले गए. इसी साल के अंत में दिसंबर में वे पुनः आगरा आए. इस बार आगरावासियों ने उनका भव्य स्वागत किया. अपने लगभग दो घंटे के प्रवास के दौरान उन्होंने राम मंदिर मुद्दे पर खुलकर बात की और भक्तां को दर्शन दिए. पादुका पूजन, फलाहार कर वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए. चौथी और अंतिम बार वे अप्रैल 2018 में आगरा आए तब उन्होंने डॉ. दीपिका से कहा कि वे वृंदावन में चातुर्मास करेंगे. आगरा में चातुर्मास व्रत करने के आग्रह पर उन्होंने फिर कभी करने के लिए कहा. वे इस दौरान रात्रि प्रवास करना चाहते थे लेकिन परिस्थितिवश उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा.
आगरावासियों को कम समय देने की शिकायत पर उन्होंने अगली बार परमहंसी गंगाआश्रम से ही कम से कम दो तीन दिन का कार्यक्रम बनाकर आगरा आने की बात कही लेकिन वो कार्यक्रम फिर कभी नहीं बन पाया. हालांकि 2018 में वृंदावन चातुर्मास समाप्त कर महाराज जी ने अपने दंडिी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को आगरा भेजा और आगरा की भूमि से ही परम धर्म संसद 1008 का गठन करने की घोषणा करवाई.