आगरालीक्स.. नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की आऱाधना की जाती है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धी प्रदान करती हैं।
औधषि कवच
नवम सिद्धिदात्री यानी शतावरी मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाला है दुर्गा के इस स्वरूप को नारायणी या शतावरी कहते हं। शतावरी बुद्धि, बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार, वात, पित्त शोध नामक औषधि है। शतावरी का नियमपूर्वक सेवन करने वाले व्यक्ति के सभी कष्ट स्वयं दूर हो जाते हैं। इसलिए हृदय को बल देने के लिए मां नारायणी की आराधना करनी चाहिए।
योग दर्शन
माता सिद्धिदात्री की आराधना से निर्वाण चक्र जागृत होता है। साधक पूजा करते समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां पर लगाना चाहिए। माता की कृपा से इस चक्र की सारी शक्तियां साधक को प्राप्त हो जाती हैं। भक्त के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रहता, उसे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मता का भोगः नवमी तिथि के दिन माता को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाए। यशाशक्ति गरीबों को दान करें। इससे लोक-परलोक में आनन्द और वैभव प्राप्त होता है।
लाभकारी उपाय
नवरात्र में अपनी श्रद्धा के अनुसार माता, पिता भाई, बहन,पत्नी, छोटी कन्या को दान अवश्य करें।
नवरात्र में अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ नए सामान की जरूर खरीदारी भी करें। इससे घर में सौभाग्य आता है। स्थाई संपत्ति का वास होता है।