Psychologist for You, Software to quit drug addiction by Dr. Naveen Gupta Behavioral scientist of Agra #agra
आगरालीक्स ..आगरा में नशा मुक्ति के लिए ‘साइक्लाॅजिस्ट फाॅर यू’ का साफ्टवेयर बनेगा मददगार, यकीन मानिए, केवल यह मान लेने से कि आपको कोई समस्या है आप जीत का पहला कदम बढ़ा देते हैं,

नशे से विमुक्ति के लिए मदद मांगना एक बहादुरी का काम है, लेकिन यकीन मानिए केवल यह स्वीकार कर लेने से ही आप जीत की दिशा में पहला कदम बढ़ा देते हैं कि आपको कोई समस्या है। इसके बाद पहले की तरह जिंदगी की तलाश में आप अकेले नहीं होते, आपके मित्र और परिवार आपके साथ होते हैं। आप उनका समर्थन मांग सकते हैं। यह कहना है बिहेवियर साइंटिस्ट डाॅ. नवीन गुप्ता का।
बिहेवियर साइंटिस्ट डाॅ. नवीन गुप्ता के निर्देशन में शारदा ग्रुप की परियोजना किशोरों और युवाओं को ड्रग एडिक्शन से बचाने की दिशा में पहला कदम है। डाॅ. गुप्ता बताते हैं कि 20 से 40 वर्ष की आयु में नशे की जद में आया व्यक्ति अपने लिए कुछ नहीं कर सकता, वह अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं कर सकता और वह अपने बूढ़े माता-पिता के लिए कुछ नहीं कर सकता। स्पष्ट है कि ड्रग एडिक्शन तीन पीढ़ियों को पूरी तरह से तबाह कर देता है। उनके काम का हिस्सा होने की वजह से उनके पास तमाम ऐसे मामले आते हैं जिनमें नशे की जकड़ में आ चुके युवा परिवार में किसी की नहीं सुनते। इनमें से कई ऐसे होते हैं जो नशा छोड़ना भी चाहते हैं लेकिन ऐसा करना संभव नहीं हो पाता। मुख्य उद्देश्य ऐसे किशोरों और युवाओं की मदद करना है। ड्रग ओवरडोज की वजह से मौतों, इसकी वजह से मारपीट और दुव्र्यवहार की घटनाएं भी हम आए दिन समाचारों में देखते-पढ़ते हैं। हम अपने युवाओं को यूं ही बर्बाद नहीं होने देंगे। इसी विचार के साथ उनके निर्देशन में साइक्लाॅजिस्ट फाॅर यू आगरा में एक डाटा बैंक और साॅफ्टवेयर तैयार कर रही है जिससे मदद की जा सके। इसके लिए स्कूल-काॅलेजों और अभिभावकों की मदद ली जा रही है। अभिभावक और शिक्षक ड्रग एडिक्ट किशोरों और युवाओं को पहचानने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। साॅफ्टवेयर तैयार होने के साथ ही एक हेल्पलाइन जारी की जाएगी। अक्सर देखा गया है कि ड्रग एडिक्शन की वजह से सुसाइड या दुर्घटनाओं के मामले रात में ज्यादा होते हैं, इसलिए यह हेल्पलाइन रात में भी जारी रहेगी। पीड़ित या उनके परिवार के लोग इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकेंगे। साइक्लाॅजिस्ट फाॅर यू ने इसके लिए पंजाब सरकार को भी पत्र लिखा है ताकि वहां भी मदद के लिए एक प्लेटफाॅर्म तैयार किया जा सके।
सब साथ आएं
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि अच्छा होगा कि इस परियोजना को सार्थक बनाने में आबकारी, पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक, न्याय, युवा कल्याण एवं स्थानीय स्वशासी विभाग भी साथ आएं।
बनाई जा रही रिपोर्ट
इसके लिए स्कूल-काॅलेजों से संपर्क कर डाटा एकत्रित किया जा रहा है। शिक्षक और अभिभावक ड्रग एडिक्शन की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। संभावित योजनाओं और उद्देश्य के लिए उपयोग किए जा सकने वाले संसाधनों के बारे में रिपोर्ट बनाई जाएगी।
संचार नेटवर्क हो मजबूत
माता-पिता और शिक्षकों में जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है ताकि उन छात्रों में परिवर्तन की निगरानी और पता लगाया जा सके जो नशीली दवाओं के दुरूपयोग में हैं। शिक्षकों और अभिभावकों के बीच संचार नेटवर्क मजबूत होना चाहिए।
क्या नशे से मुक्ति पाई जा सकती है ?
डाॅ. नवीन गुप्ता से जब पूछा गया कि क्या नशे से मुक्ति पाई जा सकती है? उन्होंने हां में जवाब देते हुए कहा कि लेकिन यह आसान नहीं है। क्योंकि व्यसन एक दीर्घकालीन रोग है, लोग केवल कुछ दिनों के लिए नशीली दवाओं का उपयोग बंद करके ठीक नहीं हो सकते। अधिकांश रोगियों को पूरी तरह से उपयोग बंद करने और अपने जीवन को ठीक करने के लिए दीर्घकालीन या बार बार देखभाल की जरूरत होती है।
विड्राॅल सिम्टम उपचार नहीं उपचार में पहला कदम हैं
डाॅ. नवीन गुप्ता कहते हैं कि दवाएं और उपकरण विषहरण के दौरान निकासी के लक्षणों को दबाने में मदद कर सकते हैं। विषहरण अपने आप में उपचार नहीं है लेकिन उपचार प्रक्रिया में यह पहला कदम है। जिन रोगियों को डिटाॅक्सिफिकेशन के बाद कोई और उपचार नहीं मिलता है, वे आम तौर पर अपना ड्रग उपयोग फिर शुरू कर देते हैं। पुनरावृत्ति से बचाव, मस्तिष्क के सामान्य कार्य को फिर से स्थापित करने में मदद के लिए काउंसलिंग जरूरी है।
व्यवहार संबंधी उपचार मददगार
डाॅ. नवीन गुप्ता बिहेवियर साइंटिस्ट हैं। अब सवाल आता है कि व्यवहार संबंधी उपचार कैसे मददगार है। डाॅ. गुप्ता बताते हैं कि पीडित के नशीली दवाओं के उपयोग संबंधित व्यवहार और दृष्टिकोण को बदला जा सकता है। स्वस्थ जीवन कौशल में वृद्धि की जा सकती है। उपचार के अन्य रूपों जैसे दवा, चिकित्सक आदि के बारे में समझाया जा सकता है। एकल या समूह परामर्श किया जा सकता है। यह एक ऐसी व्यवहार चिकित्सा है जो रोगियों की उन परिस्थितियों को पहचानने, उनसे बचने और उनका सामना करने में सहायता करती है जिनमें वे दवाओं का उपयोग करने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं या एक खास पैटर्न पर चलते हैं। इसमें कामकाज के तरीकों में सुधार को डिजाइन किया जाता है, प्रेरक साक्षात्कार किए जाते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा किया जाता है। नशीली दवाओं की लालसा वाले ट्रिगर को पहचाना जा सकता है।