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RICON UP 2019, Agra: 99 % disease diagnose with ultrasound
आगरालीक्स..आगरा में डॉक्टरों ने कहा कि जो काम अल्ट्रासाउंड से हो सकता है उसके लिए एमआरआई क्यों कराई जा रही है। एमआरआई महंगा है और अल्ट्राासउंड सस्ता।शनिवार से होटल कोर्टयार्ड बाई मैरिएट, फतेहाबाद रोड पर इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (यूपी चैप्टर) की 33वीं दो दिवसीय वार्षिक कार्यशाला रीकॉन में पहले दिन अल्ट्रासाउंड और इमेजिंग पर चर्चा की गई। कार्यशाला में महिला व पुरुषों में बांझपन में अल्ट्रासाउंड के रोल पर भी चर्चा हुई।
इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद खालिद ने बताया कि अब बीमारी डायग्नोज करने के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन कराए जाते हैं। मगर, 99 पफीसद बीमारियां अल्ट्रासाउंड से डायग्नोज हो सकती है। यह अल्ट्रासोनॉलोजिस्ट जिन्हें अनुभव है वे ही कर सकते हैं। मगर, ऐसा नहीं है, एमबीबीएस करने के बाद अल्ट्रासांउड करने की अनुमति दे दी जाती है। जबकि नियम बहुत सख्त हैं, इसके लिए चलते अल्ट्रासाउंड पर निर्भरता कम हो रही है। इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए, तीन साल की ट्रेनिंग के बाद ही अल्ट्रासाउंड करने की अनुमति दी जाए।
कोख में 10 में से एक शिशु का विकास सही तरह से नहीं हो रहा है।
यह शिशु मृत्यु दर का एक बडा कारण है। इसके लिए जरूरी है कि अल्ट्रासाउंड में जन्मजात विकृति के साथ गर्भस्थ शिशु के विकास को भी देखा जाए।
इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ भूपेंद्र आहूजा ने बताया कि अल्ट्रासाउंड में जन्मजात विक्रति देखने का चलन बढा है। लेकिन यह 100 में एक शिशु में मिलता है। वहीं, 10 में से एक गर्भस्थ शिशु का विकास धीमी गति से हो रहा है। इसे अल्ट्रासाउंड में देखा जाना चाहिए। इसके लिए आईआरआईए द्वारा संरक्षण अभियान भी शुरु किया गया है। इसके तहत तीन महीने के गर्भस्थ शिशु में विकास देंखे, जिससे 13 से 18 सप्ताह में गर्भस्थ शिशु की ग्रोथ कम हो रही है तो डायग्नोज कर दें। जिससे उन्हें इलाज मिल सके। स्वस्थ्य शिशु जन्म ले सके, इसके लिए यह अभियान शुरू किया गया है। डॉ. वनज माथुर ने ओवेरियन एवं ट्यूबल फैक्टर पर व्याख्यान दिया।
डॉ गौरव अग्रवाल, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल ने बताया कि महिलाओं में एंडोमेट्रोइसिस की समस्या बढी है। इससे गर्भाशय की अंदर की परत की असमान्य वृद्धि होती है। इसके कारण भारत में बांझपन की समस्या बढ रही है। इनफर्टिलिटी के 70 फीसद केस में एंडोमेट्रोइसिस की समस्या देखने को मिल रही है। यह आपरेशन और इलाज से ठीक हो सकता है।
अल्ट्रासाउंड से डायग्नोज हो सकती हैं 99 फीसद बीमारियां
दीप जलाकर किया शुभारम्भ
मुख्य अतिथि सर गंगाराम स्टीट्यूट के डॉ. टीबीएस बख्शी ने दीप जलाकर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. कर्नल आरएन बग्गा, भूपेन्द्र आहूजा, आईआराईए के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद खालिद, प्रसीडेन्ट इलेक्ट केके पाम्डे, यूपी सचिव डॉ. वनज माथुर, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अजय बुलागन, सचिव एके अरोरा, डॉ. अरविन्द गुप्ता, डॉ. अंजली गुप्ता, डॉ. हिमांशु आदि उपस्थित थे। संचलन डॉ. पंकज नगायच ने किया।