आगरालीक्स…. आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में अत्याधुनिक तकनीकी से हार्ट की नसों में जमी कैल्शियम की कठोर परत को हटाकर स्टेंट डाले जा रहे हैं, इसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।
उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर के डायरेक्टर और सीनियर ह्रदय रोग चिकित्सक डॉक्टर विनीश जैन ने बताया किएंजियोप्लास्टी की टेक्नॉलॉजी काफी आगे बढ़ रही है। मरीजों की बिना कंट्रास्ट के एंजियोप्लास्टी की जा रही है। वर्कशॉप में ज्यादा कैल्शियम वाले केस ऑपरेट किए। कई मरीजों में कैल्शियम जमने से सख्त हुई नसों को रोटाब्लेशन ड्रिल का इस्तेमाल करके खोला गया। कैल्शियम को काटकर छल्ला डाला गया। वहीं
कुछ ह्दय के मरीजों की नसें बहुत सालों से बंद थी, इस तरह की बंद नसों को खोलना मुश्किल होता है, बाइपास ही उसमें संभव है, लेकिन आज नई टेक्नोलॉजी के द्वारा अलग−अलग विधियों से इन नसों को खोला गया।
इंट्रावैशकुलर अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए दिल की नसों को अंदर से 360 डिग्री के कोण पर देखकर डा.विनीश जैन मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इससे रिजल्ट्स और बेहतर मिले हैं।
इटली से आए डाक्टर इमाद शीबान ने बताया कि दिल के मरीजों की सामान्य इंजेक्जशन देकर एंजियोप्लास्टी होती हैं। लेकिन एडवांस तकनीकि में पिछले कुछ सालों से जटिल केसों का इलाज किया जा रहा है, जिसमें किडनी, डायबिटिक पेशेंट्स का इलाज हो रहा है। एडवांस विधि से ये पता लगाना और आसान होता है कि दिल में कहां पर रुकावट है,कैल्शियम कितना है और छल्ले का साइज कैसा है। इन एडवांस तकनीकि से मरीजों का इलाज किया जा रहा है।इससे पहले गुरुवार को आइएसीएम और एडीएफ (आगरा डायबिटिक फोरम) के साथ मिलकर एक सीमई हुई, इसमें इटली के प्रोफेसर इमाद शीबान ह्दय रोग में नए एडवांसमेंट पर अनुभव बताए। वहीं डा.विनीश जैन ने बिना कंट्रास्ट के एंजियोप्लास्टी पर चर्चा की। ये गुर्दे के मरीजों के लिए क्रांतिकारी कदम है। क्योंकि गुर्दे के मरीजों को कंट्रास्ट नहीं दे सकते हैं। उनकी एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती है। इस सीएमइ में चिकित्सकों ने इस पर अपने अनुभवों का आदान प्रदान किया।