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Sankashti Chaturthi: Longevity and prosperity of children
आगरा, अलीगढ़लीक्स… संकष्टी (सकट) चतुर्थी का पर्व कल (31 जनवरी) को मनाया जाएगा। संकष्टी चतुर्थी संतान की दीर्घायु के लिए भगवान गणेश औऱ माता पार्वती की पूजा है।
अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी बारह मास के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इसे माघी चतुर्थी या तिल चौथ भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाली होती है। इस चतुर्थी पर व्रत करके गणेशजी का पूजन करने से सारी विपदाएं दूर होती हैं। इस दिन पूजा करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी कष्ट शीघ्रातिशीघ्र दूर हो जाते हैं। धर्मराज युद्धिष्ठर ने भी भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर इस व्रत को किया था।
गणेश भगवान का जन्मदिन
शिव रहस्य ग्रंथ के अनुसार आदिदेव भगवान गणेश का जन्म माघ कृष्ण चतुर्थी को ही हुआ था। पूर्वांचल में इस दिन गणेशजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। माघ मास के चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करने से गणेश दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। संकष्टी व्रत करने से भक्तों के सभी कष्टों का श्रीगणेश निवारण करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
31 जनवरी के दिन चतुर्थी तिथि रात्रि 8.24 से प्रारंभ होकर एक फरवरी शआम 6.24 तक रहेगी। इससे पूर्व ही चतुर्थी पूजा करना श्रेष्ठ है। प्रातः 7.10 से दिवाकाल 11.15 तक चर, लाभ, अमृत से तीन सुप्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे। इसमें भगवान गणेश की पूजा करना शुभ फलदायक रहेगा। इसके बाद दोपहर 12.32 से दोपहर 1.53 तक विश्वप्रसिद्ध शुभ का चौघड़िया मुहूर्त, पूजा-पाठ, दान-पुण्य, अनुष्ठान के लिए विशेष शुभ समय माना जाएगा।