Shat-tila Ekadashi fasting provides freedom from sins
आगरालीक्स… षटतिला एकादशी सोमवार को मनाई जाएगी। षटतिला एकदाशी व्रत रखने से मनुष्य के अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। आगरालीक्स में जानिये षटतिला एकदाशी का महत्व।
गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. हृदयरंजन शर्मा के मुताबिक माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है। पुराणों के मुताबिक अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। सौभाग्य की प्राप्ति के साथ दरिद्रता दूर होती है। माघ माह में समस्त इंद्रियों काम, क्रोध, अहंकार, बुराई आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए। तिल से बनी वस्तुओं का दान करना चाहिए। परंपरा के अनुसार कहीं प्रातः और कहीं सायंकाल षटतिला एकादशी का पूजन होता है, जो अपनी परंपरा के अनुसार किया जाता है।
षटतिला एकादशी का पूजा विधान
पूरे वर्ष में पड़ने वाली 24 एकदाशी में से इस एकादशी की पूजा थोड़ी अलग होती है। इसके लिए एक दिन पूर्व दशमी को भगवान विष्णु का स्मरण कर गोबर में तिल मिलाकर 108 उपले बनाने चाहिए। एक समय भोजन करना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजन में चंदन, अरगजा, कपूर, नैवेद्य का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद श्रीकृष्ण के नाम का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।
सायंकाल की पूजा
एकदाशी की रात को भगवान का भजन-कीर्तन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के बाद छाता.तिल आदि का दान करना चाहिए। काली गाय का दान भी उत्तम माना गया है।
इस दिन तिल का महत्व
-तिल के जल से स्नान करें
-पिसे हुए तिल से उबटन करें
-तिलों का हवन करें
-तिल मिला हुआ जल पीयें
-तिल का दान किया जाए
-तिल की मिठाइयां बनई जाएं
षटतिला की तिथि मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ सात फरवरी को प्रातः 6.27 बजे
एकादशी तिथि समाप्त आठ फरवरी को प्रातः 4.47 बजे
पारण व्रत खोलने का समय नौ फरवरी को प्रातः 7.19 से 9.11 बजे तक
पारण तिथि के दिन द्वाद्शी समात होने का समय नौ फरवरी की रात 3.19 बजे।