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SN Medical college skin department conference in Agra

आगरालीक्स …आगरा में स्किन स्पेशलिस्ट ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है, युवतियों के नाखून खराब हो रहे हैं, उनके पैर के नाखूनों को हाथ की उंगलियों में ट्रांसप्लांट करना पड रहा है।
रविवार को एसएन मेडिकल कॉलेज व आईडीवीएल द्वारा होटल अतिथि में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में दिल्ली की डॉ. चंद्र ग्रोवर ने कहा कि नाखूनों को खूबसूरत बनाने के लिए की जा रही नेल आर्ट कहीं आपके नाखूनों को बीमार तो नहीं कर रही। नेल आर्ट के बाद नाखूनों के रंग में बदलाव, पतले होना व उनकी ग्रोथ कम होने जैसी समस्या त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास लेकर पहुंचने वाले मरीजों (विशेषकर लड़कियों) की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके साथ नाखूनों में सोराइसिस, मस्से, इनफेक्शन आदि की परेशानियों ने नेल सर्जरी के मामलों में काफी इजाफा कर दिया है। कुछ मामलों में नेल ट्रांसप्लांट भी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय में नेल सर्जरी के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं। नाखूनों को स्वस्थ रखने के लिए नेल आर्ट व आर्टीफिशियल नेल न लगाने की सलाह दी। ऊंची हील पहनने से भी नाखूनों पर दबाव बढ़ने से क्वालिटी खराब होती है। इसलिए खुले जूते और कम हील की सेंडिल पहनें। नेल ट्रांसप्सांट पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि विषम परिस्थियों में ही नेल ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। क्योंकि इसमें अपने ही नेल (मसलन पैर के माखून को हाथ पर ट्रांसप्लांट करना) को ट्रांसप्लांट किया जाता है। कार्यशाला का शुभारम्भ आईएडीवीएल के यूपी-यूके प्रसीडेंट डीके शर्मा, एसएन मेडिकल कॉलेज त्वचा रोग विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के चेयरपर्सन डॉ. पीके सिंह, डॉ. अमित मदान, डॉ. चंद्र ग्रोवर, आयोजक सचिव डॉ. यतेन्द्र चाहर, डॉ. वीके सोनकर ने सम्मलित रूप से दीप जलाकर किया। डॉ. पीके सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा हमें उम्मीद है कि यह कार्य़ाशाला डर्मेटोसर्जरी में इलाज नए आयामों को विकसित करेगी। कार्यसाला में डॉ. काविश चौहान ने हेयर ट्रांसप्लांट, डॉ. सोनी नंदा ने प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थैरपी, डॉ. अतिहर्ष मोहन ने बेसिक ऑफ एनेस्थिसीया, डॉ. नीरज सिंघल ने डर्मेटोसर्जरी इंस्ट्रूमेंट, डॉ. जेपी शॉक्य ने भी व्याख्यान दिए।
उम्र से बूढ़ा बना रहे साबुन और क्रीम
आगरा। साबुन और गोरेपन के लिए लगाई जा रही क्रीम चेहरे को बदरंग कर रहीं हैं। साल दर साल चेहरे पर झुर्रियां पड़ती जाती हैं और युवावस्था में ही चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है। लखनऊ के डॉ. अमित मदान ने बताया कि गोरेपन की क्रीम में स्टेरायड मिलाए जा रहे हैं, जो कि एंटी एलर्जिक होते हैं। रंग निखारने के लिए इनका गलत तरीके से प्रयोग किया जा रहा है। इससे कम उम्र में चेहरे पर झुर्रियां, त्वचा के पतले होने से नसों का दिखना और चेहरे पर अनचाहे बालों की समस्या बढ़ रही है। डॉ. अमित ने बताया कि साबुन की पीएच वेल्यू 5-6 के बीच होनी चाहिए। जबकि 9 पीएच वेल्यू तक के साबुन मार्केट में बिक रहे हैं। 50 एससीएफ वाली सनस्क्रीन को 10 साल तक लगाएं तो चेहरे पर झुर्रियां कम पडेंगी।

लेजर थैरपी
लेजर थैरपी मुख्य रूप से हेयर रिमूवल, मुहासों के निशान व जन्म के निशानों को हटान के लिए किया जाता है। इसके लिए अलग-अलग तरंग दैर्ध्य (वेव लेंथ) की लेजर प्रयोग की जाती हैं। जबकि ज्यादातर पा4लरों में एकही वेव लेंथ की लेजर से सबी इलाज किए जा रहे हैं। यह गलत है।

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