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Special on Mahashivratri: Bhole Baba becomes happy by doing puja, mantra and fasting rituals according to the zodiac sign

आगरालीक्स… महाशिवरात्रि आठ मार्च को है। राशि के अनुसार पूजा-पाठ, पुष्प, मंत्र, व्रत अनुष्ठान से भोले बाबा होंगे प्रसन्न। अक्षय फल की प्राप्ति। जानें विस्तार से..

महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा से दूर होते हैं दोष

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा कहते हैं कि महा शिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा उपासना जरूर करिये मुख्यतः राहू केतु जनित कोई भी दोष हो या कुंडली मे विषयोग बना हो। नंदी योग(प्रेत दोष) हो अंगारक योग हो या चांडाल दोष हो शिव जी के प्रसन्न होने से उपरोक्त दोषों में कमी आती है। अन्य ग्रहों से बनाने वाले दोषों में भी संतुलन बनता है।

भोले बाबा को प्रसन्न करने के आसान उपाय

शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपापं प्रणाशनत्

चाण्डाल मनुष्याणं भुक्ति मुक्ति प्रदायकं।।

व्रती जन यह करें उपाय

व्रतीजनों को इस तिथि विशेष पर प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त हो कर भाल में भस्म, त्रिपुंड, तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर हाथ में जल अक्षत लेकर व्रत संकल्प लेना चाहिए। शाम को स्नान कर के शिवालय में गंध, पुष्प, बिल्व पत्र, धतूरा पुष्प, मदार पुष्प, घृत मिश्रित गुगुल की धूप, दीप, नैवेद्य आदि सामग्री भगवान के समीप रख रात्रि के प्रथम प्रहर में पहली पूजा, द्वितीय प्रहर में दूसरी पूजा, तृतीय प्रहर में तीसरी और चतुर्थ प्रहर में चौथी पूजा करनी चाहिए। इसे पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करना चाहिए।

चारों प्रहर पूजा का है विधान

पूजन में रुद्राभिषेक, शिव मंत्र का जप, शिव महिन्नस्रोत, शिवाष्टक, शिव सहस्त्रनाम आदि के पाठ का विधान है, जो व्यक्ति निराहार रहकर रात्रि के चारो प्रहर शिव पूजन करता है उस पर भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं। पूजा समस्त शिव परिवार की करें। इस दिन महाशिवरात्रि पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। इस व्रत को भगवान श्रीराम, लंकाधिपति रावण, दक्ष कन्या सती, हिमालय कन्या पार्वती ने भी किया था।

14 वर्ष तक व्रत करने पर शिवलोक की होती है प्राप्ति

शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य 14 वर्ष तक इस व्रत का पालन करता है, उसकी कई पीढि़यों के पाप नष्ट हो जाते हैं। अक्षय अनंत फल और मोक्ष या शिवलोक की प्राप्ति होती है।

विधि-विधान से पूजा नही कर सकते तो क्या करें

-विल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है इसको शिवलिंग पर अर्पित करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते है। बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें पूजा में क्या और करना है ये जानिए।

1- बिल्वपत्र भोले नाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें।

2- बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए। कीड़ो द्वारा बनायें हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते है और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं।

3- बिल्वपत्र कटे या फटे न हो। ये तीन से लेकर 11 दलों तक प्राप्त होते है। रूद्र के 11 अवतार है, इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ायें जाये तो महादेव ज्यादा प्रसन्न होंगे।

4- बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते है।

5- शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा।

6- पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें।

7- भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें।

8- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।

9- शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें।

10- शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें।

इसके बाद शिव जी के 11 नामों का उच्चारण करे इसे करने से हर मनोकामना पूर्ण होगी।

1- ऊॅ अघोराय नामः.                                       2- ऊॅ शर्वया नमः।.                                             3-ऊॅमहेश्वराय नमः।.                                               4- ऊॅ ईशानाय नमः।.                                         5- ऊॅ शूलपाणे नमः।.                                        6- ऊॅ भैरवाय नमः।.                                          7- ऊॅ कपर्दिने नमः।

8- ऊॅ त्रयम्बकाय नमः

9- ऊॅ विश्वरूपिणे नमः।                                  10- ऊॅ विरूपक्षाय नमः।

11- ऊॅ पशुपते नमः।

राशियों के मुताबिक माला जप इन मंत्रों से करें

मेष- ऊॅ मंगलाय नमः का जप करें एंव मीठे जल से अभिषेक करें।

वृष- ऊॅ तेजोनिधाय नमः का जप करें तथा दही से अभिषेक करें।

मिथुन- ऊॅ वागीशाय नमः का उच्चारण करें एंव बिल्प पत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ायें।

कर्क- ऊॅ सोमाय नमः का जप करें व दूध व मिश्री मिलाकर आभिषेक करें।

सिंह- ऊॅ बभ्रवे नमः मन्त्र का उच्चारण करके जल से अभिषेक करें।

कन्या- ऊॅ जीवाय नमः मन्त्र का जाप करें एंव कुशा व दूर्वा चढ़ायें।

तुला- ऊॅ भूमिपुत्राय नमः का उच्चारण करते हुये दूध से अभिषेक करें।

वृश्चिक- ऊॅ महीप्रियाय नमः का जप करते हुये गन्ने के रस से अभिषेक करें।

धनु-ऊॅ भुजाय नमः का उच्चारण करें तथा कनेर का फूल व धतूरा चढ़ायें।

मकर- ऊॅ गंगाधराय नमः मन्त्र का जप करते हुये बिल्पपत्र व शमी की पतियाॅ चढ़ायें।

कुम्भ- ऊॅ नीलकमलाय नमः का जप करें तथा रूद्राष्टक का पाठ करें।

मीन- ऊॅ भास्कराय नमः मन्त्र का उच्चारण करते हुये दूध, दही, घी आदि से अभिषेक करें।

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