Tuesday , 4 February 2025
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Startup: Incense sticks made from flowers growing in temples…#agranews

आगरालीक्स…मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से यह शख्स बना रहे है धूपबत्ती, खूब कर रहे लोग पसंद, विदेशों तक डिमांड. अब रोजगार भी दे रहे..पढ़ें पूरी खबर (dhoopbatti making)

मथुरा के राम गोपाल और दीपांश गर्ग ने मिलकर मंदिरों में अर्पित किए जाने वाले फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाते हैं. यह प्रयास इतनी आसानी से सफल नहीं हुआ बल्कि दोनों ने कूड़े में फेंके जाने वाले इन फूलों पर बहुत रिसर्च की और उसके बाद इससे खुशबूदार धूपबत्ती तैयार की. (new startup in Mathura and Agra)

आपने अक्सर कूड़ा निस्तारण को लेकर सरकार और पर्यावरण प्रेमियों को चिंतित होते हुए जरुर देखा होगा. पूर्ण रूप से कचरा न सही पर कुछ ऐसा ही मंदिरों में भी फूलों और पूजा सामग्री का वेस्ट बड़ी मात्रा में निकलता है. जिसको ब्रज की धरती के रामगोपाल और दीपांश ने बड़ी गंभीरता से देखा और उस कूड़े के निस्तारण के लिए एक ऐसा उपाय सोचा, जिसकी आज हर कोई तारीफ कर रहा है. दीपांश मंदिरों में अर्पित किए जाने वाले फूलों से धूपबत्ती बनाते हैं. यह प्रयास इतनी आसानी से सफल नहीं हुआ बल्कि दीपांश ने कूड़े में फेंके जाने वाले इन फूलों पर बहुत रिसर्च की और उसके बाद इससे खुशबूदार धूपबत्ती तैयार की, जिनको वापस पूजा में इस्तेमाल किया जा रहा है. (New Business ideas)

रामगोपाल और दीपांश कहते हैं कि उन्होंने इसके लिए लखनऊ, कानपुर में कई जगह जाकर जहां धूपबत्ती पर काम हो रहा है. वहां जाकर उन लोगो से ट्रेनिंग ली और अपने साथ 06 बहनों को जोड़कर काम की शुरुआत की. आज मथुरा के प्लांट से तैयार गौकृपा धूपबत्ती घर-घर में इस्तेमाल होते हुए आसानी से देखी जा सकती है. दीपांश अपने प्रोडक्ट को सफलता की उस ऊंचाई पर ले जा पहुंचे हैं कि अब विदेशों से भी उन्हें आर्डर मिल रहे हैं। यह 80 रुपये के पैक में प्रोडक्ट सेल कर रहे हैं. (Mathura mandir)

दीपांश कहते हैं कि मंदिरों में अर्पित फूलों से बनाई गई धूपबत्ती ग्राहकों को इतनी ज्यादा पसंद आ रही हैं कि लोग इन्हें बार-बार खरीदना पसंद कर रहे हैं. इसलिए लगातार मार्केट में उनके प्रोडक्ट के डिमांड बढ़ रही है. जहां पर मंदिरों में से निकलने वाले फूलों के कूड़े से धूपबत्ती तैयार की जा रही है

कैसे तैयार होती हैं वेस्ट फूलों से अगरबत्ती और धूप
दीपांश गर्ग ने बताया कि अमूमन बाजारों में मिलने वाली अगरबत्ती और धूप में कोयला और फ्रेगरेंस के लिए केमिकल का इस्तेमाल होता है और इसको बनाने का प्रिंसिपल भी यही कहता है. इसलिए वह सबसे पहले फूलों के वेस्ट को पाउडर फॉर्म में बदलते हैं और कोयले की जगह धूपबत्ती में वेस्ट फूलों का पाउडर, गाय का गोबर, हवन सामाग्री जिसमें नागरमोथा, जटामासी, काचरी, सुगंध कोकिला, चंदन पाउडर, गूगल जैसे 48 शुद्ध प्राकृतिक जड़ी बूटियों का मिश्रण का उपयोग किया जाता है. जिससे कि हवन किया हो, ऐसी खुशबू आती है व केमिकल का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता और कुछ इस तरह से तैयार होती है मंदिर में अर्पित किए जाने वाले फूलों से धूपबत्ती.

  1. इस धूपबत्ती से सात्विक व सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  2. सूक्ष्म हवन स्वरूप है जिससे वास्तुदोष निवारण होते है एवं पर्यावरण शुद्ध होता है।
  3. वेद शास्त्रों में शुद्ध धूपबत्ती वा दीपक का ही उल्लेख है।
  4. बहनों को रोजगार मिलता है।

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