UP Governer Ram Naik raised the issue of Vande Matram duration in Agra
आगरालीक्स …..आगरा में राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि दुर्भाग्य है कि लोग वंदे मातरम क्या है, राष्ट्र गीत की अवधि कितनी होनी चाहिए और ‘वंदे मातरम्’ को छोटा क्यों कर दिया गया, यह नहीं जानते हैं ।
शनिवार को सेंट एंड्रूज स्कूल,कर्मयोगी में 15 वीं अखिल भारतीय भारत को जानो प्रतियोगिता का औपचारिक शुभारंभ करते हुए राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि 1990 में लोकसभा में सवाल पूछा गया था कि देश के किन किन हिस्सों में राष्ट्रगान और राष्ट्र गीत नहीं गाया जाता है। इसके बाद सभी कॉलेजों में इसे अनिवार्य कर दिया गया। साथ ही संसद सत्र शुरू होने पर राष्ट्रगान जन गण मन और समाप्ति पर राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाया जाने लगा। उन्होंने संसद में चर्चा की जगह होने वाले हंगामे पर कहा कि यह कष्टदायक है, जिस संसद में अच्छी बहस होनी चाहिए, जिससे अच्छे परिणाम सामने आएं। वहां विपक्ष और सत्ता पक्ष आपस में लड रहे हैं।
छात्रों को दिए सफलता के मूल मंत्र
स्माइल, स्माइल, स्माइल — मुस्कुराते रहे
एप्रीसिएट एप्रीसिएट एप्रीसिएट — अच्छे कार्य करने वाले को प्रोत्साहित करो
किसी की अवमानना ना करो
और अधिक अच्छा करने के प्रयास करो
आप भी जाने वंदे मातरम
बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम्’ तो बहुत लम्बी रचना है, जिसमें माँ दुर्गा की शक्ति का भी बख़ान है, पर पहले अंतरे के साथ इसे सरकारी गीत के रूप में मान्यता मिली है और इसे राष्ट्रीय गीत का दर्ज़ा देकर इसकी न केवल धुन बल्कि गीत की अवधि तक संविधान सभा द्वारा तय की गई है, जो 52 सेकेण्ड है।
अंग्रेजों के गीत के विकल्प के रूप में वंदे मारतम की रचना
1870 के दौरान अंग्रेज़ हुक्मरानों ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेज़ों के इस आदेश से बंकिमचंद्र चटर्जी को, जो तब एक सरकारी अधिकारी थे, बहुत ठेस पहुँची और उन्होंने 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया “वंदे मातरम्”। शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे, जो केवल संस्कृत में थे।
1950 में संविधान सभा ने लिया निर्णय
24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि स्वतंत्रता संग्राम में ‘वन्देमातरम’ गीत की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए इस गीत के प्रथम दो अन्तरों को ‘जन गण मन..’ के समकक्ष मान्यता दी जाय। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा का यह निर्णय सुनाया। “वन्देमातरम’ को राष्ट्रगान के समकक्ष मान्यता मिल जाने पर अनेक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसरों पर ‘वन्देमातरम’ गीत को स्थान मिला। आज भी कई सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं में ‘वन्देमातरम’ गीत का पूरा-पूरा गायन किया जाता है।