आगरालीक्स…(23 July 2021 Agra News) हार्ट अटैक का मतलब क्या होता है. यह समझना ज़रूरी है तभी इसका इलाज समझ में आएगा. शांतिवेद इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस आगरा के DM cardiologist. डॉ. हिमांशु यादव से जानिए.
हमारे दिल को होती है खून की आवश्यकता
हमारे दिल का काम है हमारे शरीर के हर अंग को ख़ून पहुँचाना जिससे की उस अंग को आक्सीजन मिल सके और वो अंग जीवित रह सके। हमारे दिल को ख़ुद भी ख़ून की आवश्यकता होती है ताकी हमारा दिल जीवित रह सके और अच्छे से काम कर सके। इसके लिए हमारे दिल में मुख्यतः 3 धमनियाँ होती हैं जो दिल को ख़ून की आपूर्ति करती हैं। जब कभी अचानक किसी कारण से हमारे दिल की धमनियों मे रुकावट आ जाती है। तो दिल के एक हिस्से को ख़ून की सप्लाई मिलना बंद हो जाती है। दिल का वह हिस्सा कुछ ही मिनट में काम करना बंद कर देता है। इसी दशा को हम हार्ट अटैक बोलते हैं।
अचानक आया हार्ट अटैक जानलेवा हो सकता है
यह ज़्यादातर लोगों मे अचानक और पहली बार ही होता है। यह कुछ लोगों मे अचानक जानलेवा भी हो सकता है। इसका तुरंत, समय रहते, कम से कम समय ज़ाया करे, सही इलाज होना अति आवश्यक है। क्योंकि ख़ून ना मिलने के कारण हमारे दिल का एक हिस्सा बेकार होने लगता है। 12 घंटे में वो हिस्सा पुरी तरह बेकार हो जाता है।
इसके इलाज के लिए अंजीयोप्लासटी ( एस्टेंट द्वारा तुरंत दिल की धमनी की रुकावट को खोलना ही सबसे उत्तम इलाज है)। अनावश्यक इस इलाज से डरना, मुँह मोड़ना, या इलाज में किसी भी कारण देरी करना ख़तरनाक होता है। याद रखें अमेरिका / इंगलेंड जैसे विकसित देशों मे हर अटैक के मरीज़ की 90 मिनट के अंदर अंजीयोप्लासटी कर दी जाती है।इस विधी से नस तुरंत खुल जाती है। और हार्ट की माँस पेशियों को ख़ून की सप्पललाई दोबारा सुचारू रूप से चालू हो जाती है।
देरी से इलाज में हार्ट जीवन भर के लिए हो जाता है कमजोर
अपने घर के सबसे निकट तम घरवालों से डाक्टर के साथ बैठकर सलाह करना अच्छी बात है। परंतु दूर से रिश्तेदार/ पड़ोसी/मोहल्ले वाले/ जान पहचान वाले ( जिन्हें बीमारी एवं इलाज की समझ सम्भवतः कम होती है, उनसे अनावश्यक सलाह में समय बर्बाद ना करें)। अगर तय समय सीमा के अंदर अंजीयोप्लसटी की जाए तो हार्ट का हिस्सा मरने या छती युक्त होने से बच जाता है। देरी से इलाज मे हार्ट जीवन भर के लिए कमज़ोर हो जाता है और बाद मे विभिन्न तरह से तकलीफ़ों को भड़ाता है। ज्ञात हो की इस इलाज में कोई चीरा टाँका या बेहोशी नहीं की जाती है। हाथ या पैर की नस द्वारा दूरबीन विधी से दिल की नस तक पहुँचा जाता है। अतः याद रखें हार्ट अटैक में “सही इलाज “एवं “तुरंत इलाज “को प्राथमिकता दें।
Dr. Himanshu yadav
DM cardiologist.
Chief cardiologist- shantived institute of medical sciences
Clinic- VN heart care, 68 gajanan nagar, kothi meena bazar, shahganj, Agra