Agra News: Public representatives also watched the film The Sabarmati
Who can do Shradh if there is no son, know
आगरालीक्स(22th September 2021 Agra News)… हिन्दू धर्म में कौन कर सकता है श्राद्ध. बेटा न होने पर कौन होता है श्राद्ध का अधिकारी.
बेटे को ही माना गया है श्राद्ध का अधिकारी
श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुके हैं। यह छह अक्तूबर तक रहेंगे। अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि हिन्दू धर्म के मरणोपरांत संस्कारों को पूरा करने के लिए बेटे का प्रमुख स्थान माना गया है। शास्त्रों में लिखा है कि नरक से मुक्ति बेटे द्वारा ही मिलती है। इसलिए बेटे को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है। नरक से रक्षा करने वाले पुत्र की कामना हर मनुष्य करता है।
शास्त्रों के अनुसार पुत्र न होने पर कौन-कौन श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है
पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए।
बेटे के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए।
एक से अधिक बेटे होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है।
बेटी का पति और बेटी का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं।
पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।
पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है।
पत्नी का श्राद्ध तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो।
पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।
गोद में लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी है।
कोई न होने पर राजा को उसके धन से श्राद्ध करने का विधान है।