Agra News: Workshop organized at Mental Health Institute and Hospital
WORLDCON 2023 : Constipation increases in children, Colon cancer on rise #agra
आगरालीक्स ….आगरा में देश विदेश से जुटे सर्जन ने बताया कि बच्चों में कब्ज की समस्या बड़ी चेतावनी, कैंसर का बढ़ा खतरा, नई तकनीक से बिना दर्द के पाइल्स, फिशर की सर्जरी।

कलाकृति ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आफ कोलो प्रोक्टोकालोजी वर्ल्डकॉन 2023 में पहले दिन शुक्रवार को नई तकनीकी का प्रशिक्षण दिया गया।
आईएससीपी के प्रेसीडेंट इलेक्ट डा. प्रशांत रहाटे ने कहा कि पाइल्स, फिशर, फिस्टुला की समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे केस में सामान्य तरह से सर्जरी करने पर मरीज को एक महीने तक घर पर रहना पड़ता है और सर्जरी भी महंगी है। जबकि लेजर विधि, एमआइपीएच स्टेप्लर विधि, चिवटे प्रोसीजिर, सिग्मोइडोस्कापी, एंडोसूचरिंग विधि से सर्जरी के 48 घंटे बाद मरीज काम पर लौट सकता है। सर्जरी में खर्चा 30 से 40 हजार आता था इसे 10 से 15 हजार रुपये तक ले जाना है। जिससे अधिक से अधिक मरीज इस तरह की सर्जरी करा सकें। आयोजन सचिव डा. अंकुर बंसल ने बताया कि फास्ट फूड में मैदा और अजीनोमोटा के साथ ही प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पाइल्स, फिशर की समस्या बढ़ रही है। इसके ग्रेड के हिसाब से इलाज किया जाता है। डा. निधि बंसल ने बताया कि सामान्य प्रसव के साथ ही महिलाएं पानी कम पीते हैं। उन्हें लगता है कि प्रसव के बाद पानी पीने से मोटे हो जाते हैं। इसलिए महिलाओं को कब्ज की समस्या हो रही है और प्रोक्टोलाजी की समस्या बढ़ी है।
कोलोन के कैंसर का रोबोटिक सर्जरी से इलाज
डा. अश्विन तंगवेलु कोयंबटूर ने रोबोटिक सर्जरी से कोलोन के कैंसर की सर्जरी की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दूरबीन विधि और रोबोटिक सर्जरी से छोटे टांके लगाकर कोलोन के कैंसर वाले हिस्से को निकाल दिया जाता है और उसे कनेक्ट कर दिया जाता है, जिससे मल को निकालने के लिए अलग से थैली लगाने की जरूरत नहीं होती है।
कोलाइटिस की भी बढ़ रही समस्या
आईएससीपी के सचिव डा. लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि कोलाइटिस की भी समस्या बढ़ी है, पहले अमीबाइड कोलाइटिस देखने को मिलती थी लेकिन अब अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रान्स डिजीज मिल रहा है। इसके पीछे फास्ट फूड का सेवन करने के साथ ही अत्यधिक तनाव एक बड़ा कारण है।
युवा सर्जन सर्जरी की नई तकनीकों पर जोर देः डॉ. प्रशान्त गुप्ता
आगरा। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की 8वीं विश्व कार्यशाला का शुभारम्भ आज कलाकृति कनवेन्शन सेंटर में एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने युवा सर्जन को सर्जरी की नई तकनीकि सीखने व उसे अपनाने पर जोर देने को कहा। जिससे मरीजों को आर्थिक व शारीरिक दोनों तरीके का लाभ मिल सके। आयोजन समिति के सचिव डॉ. अंकुर बंसल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. शांतिकुमार चिवटे, डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर डॉ. प्रशान्त रहाटे, आयोजन समिति के डॉ. अनुभव गोयल, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. करन रावत, डॉ. जूही सिंघल, डॉ. प्रशान्त लवानिया आदि उपस्थित थे।
कैसे पहचाने कौन सी समस्या
डॉ. प्रशान्त रहाटे ने कहा कि पाइल्स, फिशर, फिस्टुला की समस्या के लक्षअम लगभग समान होते हैं, लेकिन इलाज अलग-अलग। सही समय पर समस्या का पता चलना और सही इलाज मिलने से मरीज 2-4 दिन में ठीक हो सकता है। लेकिन समस्या कुछ और इलाज कोई और परेशानी को जीवनभर के लिए बनाए रख सकता है।
पाइल्सः घाव के साथ रक्तत्राव।
फिस्टुलाः छोटा छेद, जहां से पस निकलता है। यह चेद न्दर गहराई तक हो सकता है।
प्रोलेब्सः गूदा बाहर आ जाता हैमल करने में तकलीफ हमेसा ठीक से प्रेश न हो पाने का एहसास।