हालांकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस कार्रवाई पर सीधा बंटवारा दिखाई दिया और आखिरकार वोटिंग करवा कर बहुमत के आधार पर फैसला किया गया। केजरीवाल ने खुद एक बार फिर पार्टी संयोजक पद से इस्तीफे की पेशकश की थी मगर यह रस्म अदायगी से ज्यादा नहीं रही। भूषण और यादव दोनों ने ही कहा है कि वे बहुमत से लिए गए फैसले का सम्मान करते हैं और पार्टी में नई भूमिका के लिए तैयार हैं।
बुधवार को आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पूरे दिन चली बैठक के दौरान आखिरकार भूषण और यादव को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकालने का प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। हालांकि पार्टी की नीव रखने वाले दो शीर्षस्थ नेताओं को इस अहम जिम्मेदारी से हटाने का फैसला पार्टी के लिए आसान नहीं रहा। बैठक में मौजूद कार्यकारिणी के 19 सदस्यों में से आठ ने इस प्रस्ताव के विरोध में भी मत दिए।
बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता कुमार विश्वास ने अंदर चले संघर्ष पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए कहा कि अब पार्टी के दोनों वरिष्ठ साथियों को नई जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि केजरीवाल के संयोजक पद से इस्तीफे को भी नामंजूर कर दिया गया है।
दिल्ली में मौजूद रहने के बावजूद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद बैठक में मौजूद नहीं थे। बढ़े शुगर की वजह से उनका स्वास्थ्य खराब है और गुरुवार की सुबह वे दस दिन के प्राकृतिक चिकित्सा के इलाज के लिए बेंगलुरु रवाना हो जाएंगे।
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