IRIA, UP Chapter conference on Renal Doppler in Agra
आगरालीक्स.. गुर्दे के कारण तो हाई ब्लड प्रेशर नहीं है, आगरा में देश भर से जुटे अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट ने रीनल डॉप्लर सहित अत्याधुनिक तकनीकी पर चर्चा की। एक्सपर्ट ने कहा कि 10 फीसदी हाइपरटेंशन की समस्या का कारण किडनी में ठीक तरह से ब्लड सप्लाइ न होना है। जिसके कारण किडनी फेल भी हो सकती है। ऐसे मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आईआरआईए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र आहूजा ने होटल कोर्टयार्ड मेरिएट में इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (यूपी चैप्टर) की दो दिवसीय कार्यशाला में यह जानकारी दी। लिवर व किडनी ट्रांसप्लांट के मामलों में अल्ट्रासाउंड की नई तकनीक व इलाज के बारे में भी जानकारी दी।
रीनल डॉपलर इन हाइपरटेंशन विषय पर व्याख्यान देते हुए डॉ. आहूजा ने बताया कि अल्ट्रासाउंड की नई तकनीक रीनल डॉपलर से किडनी की रक्त नलिकाओं की रुकाबट का पता लगाया जा रहा है। जिसके कारण हाइपरटेंशन की समस्या पैदा हो जाती है। जांच के बाद इंजियोग्राफी से यह रूकावट खत्म हो सकती है। लम्बे समय तक समस्या बने रहने पर किडनी फेलियोर के मामले भी सामने आ रहे हैं। बताया कि किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट के मामलों की संख्या में इलाजा हो रहा है। 10-15 प्रतिशत मामलों में ट्रांसप्लाट के बाद रिजेक्शन के मामले देखने को मिलते हैं। इस प्रतिशत को लिवर व किडनी के ट्रांसप्लांट से पहले व बाद में अल्ट्रासाउंड की एडवांस तकनीकों (रीनल डापलर, इलास्टोग्राफी) से ही कम किया जा सकता है। कार्यशाला में डॉ. संदीप बोहरा, डॉ. मर मुकुन्द, डॉ. नितिन, डॉ. अखिलेश शर्माने भी व्याख्यान दिए।
आईआरआईए के पूवर् अध्यक्ष डॉ. एसएस डोडा ने किया उद्घाटन
आगरा। कार्यशाला का शुभारम्भ आईआराईए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसएस डोडा (दिल्ली) ने दीप जलाकर किया। सीएमओ मुकेश वत्स ने कार्यशाला के लिए शुभकामनाएं दीं। डॉ. भूपेन्द्र आहूजा ने डॉ. जीएस बाटला (जिनके नाम पर कार्यशाला का आयोजन किया जाता है) के बारे बताया व उनकी पत्नी व बेटी को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्माननित किया गया। संचालन डॉ. पंकज नगायच व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वनज माथुर ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. मोहम्मद खालिक, डॉ. केके पांडे, डॉ. शिओकुमार (sheokumar), चेयरपर्सन डॉ. अरविन्द गुप्ता व वंदना आहलूवालिया, डॉ. अजय बुलागन आदि मौजूद थे। कार्यसाला में विभिन्न प्रांतों के लगभग 125 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
अल्ट्रासाउंड इलेस्ट्रोग्राफी से लिवर के साथ कैंसर की जांच भी सम्भव
सफदरजंग हॉस्पीटल दिल्ली में रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शबनम ग्रोवर ने इलेस्ट्रोग्राफी बियोन्ड लिवर विषय पर व्याख्यन देते हुए बताया कि अल्ट्रासाउंड की एडवान्स तकनीक इलास्ट्रोग्राफी से लिवर की जांच के बाद अब ब्रेस्ट, थॉयरायड, पैन्क्रियाज, प्रोस्टेट आदि अंगों में न सिर्फ कैंसर की जांच की जा रही है बल्कि गांठ के किस हिस्से की बायोप्सी की जाए यह भी सटीक पता लगाया जा रहा है। अब तक इलॉस्टोग्राफी से कैंसर के हजारों मामलों की जांच कर चुकी डॉ. शबनम ने बताया कि इलॉस्ट्रोग्राफी से गांठ की कठोरता की जांच कर यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि यह गांठ कैंसर की है या नहीं।