आगरालीक्स… श्रावण का पहला सोमवार कल है। अधिक मास के सुखद संयोग में आठ सोमवार होंगे। भगवान शिव की कैसे करें पूजा, पूजन सामग्री। भोले को प्रसन्न करने को क्या करें जानिये विस्तार से।
श्रावण मास में इन तिथियों को है सोमवार

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भण्डार वाले ज्योतिषाचार्य पं.हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि इस बार श्रावण मास अधिक मास के रूप में पड़ रहा है अतः व्रत पूजा करने वाले लोगों को श्रावण मास के आठ सोमवारों का फल प्राप्त होगा जो 10, 17, 24, 31 जुलाई 07, 14, 21, 28 अगस्त को पड़ रहे हैं।
सामान्य मंत्रों से सम्पूर्ण शिवपूजन
🌸देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोमवार के साथ ही सम्पूर्ण श्रावण मास का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न होकर, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्धों के द्वारा किया जा सकता हैं।
विधिपूर्वक व्रत रखें
आज के दिन व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व “ॐ नम: शिवाय” का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।
त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान
🌸श्रावण सोमवार व्रत में उपवास या फलाहार की मान्यता है। ऐसे में साधकों को पूरी तैयारी पहले ही कर लेनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठे। घर आदि साफ कर स्नान करें और साफ वस्त्र पहने। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान को गंगा जल सहित, दूध, बेलपत्र, घतुरा, भांग और दूव चढ़ाएं। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें।
रात्रि जागरण करने की भी मान्यता
सोमवार के दिन मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए। इस दौरान ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते रहें। शिव चालीसा, शिव पुराण, रूद्राक्ष माला से महामृत्युंज्य मंत्र का जाप करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक का कष्ट दूर करते हैं।
संगम काल में जलाभिषेक सबसे शुभ
🌸श्रावण मास के मौके पर त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान है। ऐसे में त्रोयदशी और चतुर्दशी के संगम काल में अगर जल चढ़ाया जाए तो यह सबसे शुभ होगा।
शिवपूजन में ध्यान रखने की कुछ खास बातें

🏵️ स्नान कर के ही पूजा में बेठे
🏵️ साफ सुथरा वस्त्र धारण कर ( हो शके तो शिलाई बिना का तो बहोत अच्छा )
🏵️ आसन एक दम स्वच्छ चाहिए ( दर्भासन उत्तम )
🏵️ पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह कर के ही पूजा करें
🏵️ बिल्व पत्र पर जो चिकनाहट वाला भाग होता हे वाही शिवलिंग पर चढ़ाये ( कृपया खंडित बिल्व पत्र न चढ़ायें )
🏵️ संपूर्ण परिक्रमा कभी भी मत करें ( जहा से जल पसार हो रहा हे वहा से वापस आ जाये )
🏵️ पूजन में चंपा के पुष्प का प्रयोग ना करे
🏵️ बिल्व पत्र के उपरांत आक के फुल, धतुरा पुष्प या नील कमल का प्रयोग अवश्य कर शकते हे
🏵️ शिव प्रसाद का कभी भी इंकार मत करे ( ये सब के लिए पवित्र हे )
♦️पूजन सामग्री
🌸 शिव की मूर्ति या शिवलिंगम, अबीर- गुलाल, चन्दन ( सफ़ेद ) अगरबत्ती धुप ( गुग्गुल ) बिलिपत्र बिल्व फल, तुलसी, दूर्वा, चावल, पुष्प, फल,मिठाई, पान-सुपारी,जनेऊ, पंचामृत, आसन, कलश, दीपक, शंख, घंट, आरती यह सब चीजो का होना आवश्यक है।
♦️पूजन विधि
🌸श्रावण सोमवार के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है। व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। सोमवार के अगले दिन अथवा प्रदोष काल के समय सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
आचमन कर खुद के ललाट पर तिलक लगाएं
🌸जो इंसान भगवन शंकर का पूजन करना चाहता हे उसे प्रातः कल जल्दी उठकर प्रातः कर्म पूरे करने के बाद पूर्व दिशा या इशान कोने की और अपना मुख रख कर .. प्रथम आचमन करना चाहिए बाद में खुद के ललाट पर तिलक करना चाहिए