आगरालीक्स…(देवेन्द्र कुमार) छह साल की बच्ची के हाथ में था मोबाइल, तभी खुल गया पोर्न…पेरेंट्स ध्यान दें. आपके बच्चों के साथ न हों ऐसा, एक्सपटर्स से जानें—कैसे बचें..
बच्चों में बढ रहा मोबाइल चलाने का क्रेज
गुजरात के अहमदाबाद में एक छह साल की बच्ची अपनी मां का फोन चला रही थी, तभी अचानक पोर्न साइट्स खुल गईं. बच्ची ने मां से इसके बारे में पूछा तो वह शॉक्ड रह गईं. तुरंत फोन हाथ में लेकर बच्ची को वहां से दूसरे कमरे में भेज दिया. ये मामला एक अकेले अहमदाबाद का नहीं है, बल्कि ऐसे मामले हर रोज हर शहर में सामने आ रहे हैं. अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों को खेलने के लिए उनके हाथ में मोबाइल दे देते हैं. या फिर कभी जब बच्चे गुस्सा होते हैं तो वह मोबाइल के लिए जिद करते हैं और पेरेंट्स भी बच्चों को मनाने के लिए तुरंत मोबाइल दे देते हैं. लेकिन कभी—कभी पेरेंट्स इस बात से अंजान रहते हैं कि छोटे—छोटे बच्चे जब मोबाइल चला रहे होते हैं तो कभी—कभी वह यू ट्यूब पर अश्लील वीडियो तक पहुंच जाते हैं या फिर गूगल पर सर्च करते समय वे पोर्न साइट्स के लिंक तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में पेरेंटस के लिए यह जानना ज्यादा जरूरी हो जाता है कि वह किस तरह अपने बच्चों को इससे बचा सकते हैं.
एक्सपटर्स से जानें क्या करें
टैक्निकल एक्सपटर्स रिषभ वर्मा व प्रवीन कुमार के अनुसार टेक्नोलॉजी की मदद से हम ऐसा कर सकते हैं कि बच्चों के हाथ में जब मोबाइल हो तो वह केवल बच्चों से संबंधित ही वीडियो या साइट्स देखें. वे बताते हैं कि इसके लिए पेरेंट्स हर एंड्रॉयड फोन में अलग—अलग यूजर्स बना सकते हैं. ऐसे में आप भी बच्चों के लिए एक अलग से यूजर बना सकते हैं. इस यूजर को बनाने के बाद पेरेंट्स खुद बच्चों के लिए जिन एप्स को चलाने की परमीशन देंगे वहीं एप दिखाई देंगे. इसके अलावा वह जिन एप्स को हाइड कर देंगे वह बच्चों को दिखाई नहीं देंगे. इसके अलावा अगर आप अपने बच्चों को यू ट्यूब चलाने देना चाहते हैं तो जिस यूजर को आप उनके लिए बना रहे हैं, उसमें यू ट्यूब किड्स डाउनलोड करके रखें और उसकी परमीशन दें. ऐसे में बच्चे जब यू ट्यूब चलाएंगे तो उसमें बच्चों के लिए कार्टून व अन्य किड्स वीडियोज ही उपलब्ध होंगे.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर कहते हैं हर एज में बच्चे की मन की परिपक्वता अलग होती है. छह साल तक के बच्चे की परिपक्वता की एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है. इस एज में बच्चों को किसी भी चीज को जानने का कौतुहल होता है. ऐसे में इस एज के बच्चों को केवल मोबाइल में लॉक या ऐसा सिस्टम जिससे कि कोई अश्लील वेबसाइट्स न खुले वह काम करना चाहिए. हालांकि अगर बच्चा 13 से 14 साल का है और अगर वह अश्लील बेवसाइट्स देख रहा है तो पेरेंट्स अपने बच्चों को वैज्ञानिक तरीके से समझाएं.इस एज में आने वाले शारीरिक बदलावों के बारे में बच्चों को बताना चाहिए. बच्चों को शरीर की संरचना और जैविकी के विषय में उन्हें शिक्षित करना होता है. अगर हम बच्चों को वैज्ञानिक तरीके से शिक्षित नहीं करेंगे तो बच्चे किसी बेवसाइट या मसाला लगाकर परोसी जाने वाली चीजों से अपने आप शिक्षित होने का प्रयास करेंगे. क्योकि इनमें तथ्य नहीं होते और बहुत सी काल्पनिक चीजें होती हैं जो बच्चों के मन में विकृति पैदा करती है.