
आगरा के दौरेठा नंबर एक के सोनी एस. इरामत ने 16 मार्च 2013 को आरटीआइ में आरबीआइ और वित्त मंत्रालय से 10 रुपये के नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो, उनके नाम तथा केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत संबंधी जानकारी मांगी थी। जवाब न मिलने पर सोनी ने इसकी अपील आयोग में की। । इसकी शिकायत सोनी ने राष्ट्रपति से की। लगातार पत्राचार का नतीजा रहा कि वित्त मंत्रालय व आरबीआइ ने यह मान लिया कि उनके पास महात्मा गांधी से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है।
सोनी ने बताया कि 10 रुपये का नोट वर्ष 1996 में जारी हुआ था, तब से नोट पर फोटो व महात्मा गांधी लिखा हुआ है। उनकी मांग थी कि नोट पर महात्मा शब्द लिखना असंवैधानिक है। इसके बदले मोहनदास कर्मचंद गांधी या फिर एमके गांधी लिखा जाना चाहिए। आरबीआई ने वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि इन नोटों की दोनों तरफ रुपये का प्रतीक चिन्ह और दोनों नंबरिंग पैनल्स में इनसेट लेटर यू होगा।
बैंक ने बताया कि इस नोट का डिजाइन महात्मा गांधी सीरीज-2005 के तहत जारी 10 रुपये के नोट की ही तरह होगा।
ने यह भी कहा कि पहले जारी 10 रुपये के सभी नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे।
महात्मा नहीं बने थे मोहन दास कर्मचंद गांधी
आरटीआइ में मांगी गई जानकारी से पता चला कि राष्ट्रपिता मोहन दास कर्मचंद गांधी को महात्मा की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी, लेकिन इस उपाधि को राष्ट्रपिता ने स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था।
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