Agra News: Bharat and Kevat episode happened in Shri Ram Katha going on in Agra…#agranews
आगरालीक्स…स्वयं का अध्ययन कर भरत, स्वमी विवेकानंद, तरह बढ़ाएं अपनी योग्यता. आगरा में चल रही श्रीराम कथा में हुआ भरत, केवट प्रसंग
यदि जीवन में थाेड़ा भी ठहर कर आत्मचिंतन कर स्वयं का अध्ययन करेंगे तो अपनी योग्यताओं का विस्तार कर सकेंगे। श्रीराम की पादुका को राजसिंहासन पर रख राज्य का कार्यभार जब भरत ने संभाला तो राम राज की स्थापना कर दी, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म संसद में सनातन की पताका फहरा दी और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भगवत गीता का अध्ययन कर देश को विकास की राह दिखा दी। धर्म से राष्ट्र प्रेम तक की यह सुंदर किंतु तर्क संगत व्याख्या की कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने।
लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में श्रीप्रेमनिधि मंदिर न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के आठवें दिन भरत, केवट संवाद, सीता हरण एवं हनुमान मिलन प्रसंग हुए। मुख्य यजमान सुमन− बृजेश सूतैल, दैनिक यजमान साधना− अखिलेश अग्रवाल सहित केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल, श्रीप्रेमनिधि मंदिर के मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी, सुनीत गोस्वामी और मंदिर प्रशासक दिनेश पचौरी ने व्यास पूजन किया।
कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रोताओं से कहा कि भरत व केवट से त्याग व भक्ति की प्रेरणा लेनी चाहिए क्योकि राम और भरत ने संपति का बंटवारा नहीं किया बल्कि विपत्ति का बंटवारा किये। केवट ने समर्पित भाव से भगवान राम के पैर धोये थे।
कथा में व्यास जी ने वन गमन के समय श्रीराम गंगा नदी पार करने के लिए केवट से मिले, भगवान को साक्षात सामने पाकर केवट ने अपनी व्यथा सुनाई। केवट ने कहा कि जब तक आप अपने पैर नहीं धुलवाऐंगें। तब तक मैं आपको नदी पार नहीं कराउंगा। अन्त में भगवान को विवश होकर केवट से चरण धुलवाने पड़े। भगवान के चरण पकड़ने का अवसर केवट को प्राप्त हुआ, जिससे उसके साथ-साथ उसकी समस्त पीढ़ी तर गयी।
प्रभु राम ने भरत को रघुवंश का हंस कहा। भरत प्रेमरूपी अमृत के सागर हैं। भरत चित्रकूट से श्रीराम की चरण पादुका लेकर आये। चरण पादुका को ही सिंहासन पर रखकर भगवान के अयोध्या वापस आने के पूर्व ही रामराज्य ही स्थापना कर डाली। जो सच्चा ज्ञानी होता है वही समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। उन्होंने कहा कि कनिष्ठ भी अपने गुणों से श्रेष्ठ हो सकता है। क्योंकि श्रेष्ठता सदैव गुणों पर ही निर्भर करता है। विषम परिस्थितियों में कष्टों को झेलने को देखने का प्रयास करना चाहिए। श्रेष्ठता प्राप्त करने का यह प्रथम सोपान है। भरत से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए कि त्याग व भक्ति सदैव श्रेष्ठ होती है। वहीं कथा प्रसंग में सीता हरण, जटायु मोक्ष, शबरी भेंट व हनुमान मिलन प्रसंग को भाव विभाेर होकर व्यास जी ने सुनाया। जिस पर सभी श्रद्धालु भक्तिमय भाव में खाे गए। व्यास जी ने स्वर्ण मृग (सोने का हिरण) की घटना का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन करते हुए कहा कि जब भक्ति भगवान से विमुख होकर केवल भौतिक साधनों की ओर आकर्षित होती है तब उसे भगवान प्राप्ति के लिए भटकना ही पड़ता है। जैसे मां सीता ये जानते हुए कि सोने का हिरण नहीं हो सकता परन्तु सोने की लालच में प्रभु श्रीराम जैसे सोने को भूल गईं।
व्यास जी ने आगे कहा कि शबरी के झूठे बेर खाकर श्रीराम ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया था। आरती एवं प्रसादी के साथ कथा प्रसंग का समापन हुआ। शनिवार को रावण वध एवं भगवान राम का राज्याभिषेक प्रसंग होकर कथा विश्राम होगी। इस अवसर पर गौरी शंकर अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल, विशाल पचौरी, नरेश उपाध्याय, मनीष गोयल, संजीव जैन, एसके समाधिया, मोहित वशिष्ठ, सचेंद्र शर्मा आशीष सिंघल, राजेश खंडेलवाल, स्वास्तिक हैंडराइटिंग वेलफेयर ट्रस्ट की संरक्षक श्रुति सिन्हा, अध्यक्ष विनीता मित्तल, रीनेश मित्तल, सुधीर भोजवानी, भगवान दास, विष्णु दयाल, लोकेश पाठक, बबिता पाठक, अशोक चौबे, राजेश अग्रवाल, महंत निर्मल गिरी आदि उपस्थित रहीं।