आगरालीक्स…आगरा में खेली गई नेशनल हैंड बॉल चैम्पियनशिप में दिल्ली और यूपी की टीम बनी विजेता. ग्रुप बी का सरताज बना हिमाचल प्रदेश
चेहरे पर निश्छल मुस्कान और आंखाें में जीत का जज्बा। जीत की वो खुशी जो किसी को हराकर नहीं बल्कि अपनी कमजोरी को जीत कर मिलती है। असामान्य होकर भी सामान्य से कहीं बेहतर होकर मिलती है…मानसिक दिव्यांग बच्चों को देखकर यही भाव मन में उठ रहे थे। गले में स्वर्ण− रजत मेडल और हाथाें में प्रमाण पत्र, मानों कह रहे हों कि हम भी किसी से कम नहीं है, हम दया के नहीं प्रोत्साहन के पात्र हैं।
गुरुवार को छलेसर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैंपस में स्पेशल ओपम्पिक भारत द्वारा आयोजित की नेशनल हैंड बॉल चैंपियनशिप का समापन इन्हीं मनोभावों के तारतम्य के साथ हुआ। समापन समारोह से पूर्व निर्णायक मैच खेले गए। जिसका निर्णय दो ग्रुपों में हुआ। मानसिक दिव्यांग बच्चे हाथाें में बॉल लेकर शूट और गोल के लिए जब प्रतिस्पर्धा कर रहे थे तो मौजूद हर दर्शक बस करतल ध्वनि के साथ उत्साहवर्धन करता हुआ ही दिखायी दे रहा था।
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कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ ग्रुप ए के पुरुष वर्ग में दिल्ली ने उप्र को 11− 2 से हराया। तीसरे स्थान पर हरियाणा की टीम रही। ग्रुप बी का विजेता हिमाचल प्रदेश राजस्थान को 8− 5 से हराकर बना। महिला वर्ग में उप्र की टीम ने दिल्ली को 7− 4 से हरायाा। तीसरे स्थान पर राजस्थान की टीम रही।
विजेता टीम सहीत अन्य राज्यों से आयीं टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को मुख्य अतिथि स्पेशल ओलम्पिक भारत के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शुक्ला, विशिष्ट अतिथि डॉ भीमराव आंबेडकर विवि के उप कुलपति अजय तनेजा, विवि के खेल निदेशक अखिलेश सक्सेना, स्पेशल ओलम्पिक भारत के प्रदेश सचिव संजीव दोहरे, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आशीष कुमार, मनीष शर्मा, मनोज राठौड़, वत्सला प्रभाकर, शीला बहल, श्रुति सिन्हा, निधि जैन, डॉ वीना कौशिक, गौरव गुप्ता ने मेडल पहनाकर सम्मानित किया। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनर मनोज सिंह(वाराणसी), सीमा शर्मा(मथुरा), अरुण कुमार सिंह (आगरा), इंद्रपाल सिंह(गाजियाबाद) सहित सभी कोच को भी सम्मानित किया गया।
प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शुक्ला ने आगरा की सभी सामाजिक संस्थाओं से इस मौके पर आह्वान किया कि वे अपने आयोजनों में विशेष बच्चों को बुलाकर मंच प्रदान करें, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। स्पेशल ओलम्पिक भारत का उद्देश्य समाज को ये संदेश देना है कि मानसिक दिव्यांग बच्चे सहानुभूति के नहीं बल्कि प्रोत्साहन के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि आगामी समय में वर्ष में कम से कम आठ राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं करवायी जाएंगी। साथ ही एक लाख मानसिक दिव्यांग बच्चों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, ताकि इन बच्चों की प्रतिभा विकास पर संघ काम कर सके। प्रदेश सचिव संजीव दोहरे ने कहा कि आयोजन का ध्येय जीत नहीं अपितु सहभागिता था, जिसमें बच्चों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया और अपनी प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन श्रुति सिन्हा ने किया।