आगरालीक्स…आधुनिक दौर की न्यूरोसर्जरी से आंखों की रोशनी चले जाने, मुंह का टेढ़ापन या लकवा होने की संभावनाएं कम हुई है. आगरा में जुटे देश विदेश के न्यूरोसर्जंस…
न्यूरोसर्जरी अपने सबसे आधुनिक दौर में है। तेजी से नई तकनीकें विकसित हो रही हैं। दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंच रही हैं। 20 साल पहले की बात करें तो न्यूरोसर्जरी के दौरान आंखों की रोशनी चली जाती थी, मुंह का टेढ़ापन या लकवा होने की संभावना काफी होती थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। यह खतरे कम हुए हैं और सफलता दर भी बढ़ गई है। यह कहना है न्यूरो क्षेत्र के दिग्गजों का।
आगरा में डब्ल्यूएफएनएस का फाउंडेशन एजूकेशन कोर्स
आयोजन अध्यक्ष एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डाॅ. आरसी मिश्रा ने बताया कि आगरा के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि ताजनगरी में एक बार फिर देश-दुनिया के जाने-माने न्यूरो सर्जन्स एकत्रित हुए हैं। वे इस क्षेत्र में बहुआयामी और उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही नवीनतम एवं आधुनिक तकनीकों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे पहले दिसंबर 2022 में न्यूरोसर्जिकल सोसायटी आफ इंडिया का पांच दिवसीय अधिवेशन आगरा में हुआ था। इस बार दुनिया में न्यूरोसर्जन्स की शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड फेडरेशन आफ न्यूरोसर्जिकल सोसायटी (डब्ल्यूएफएनएस) का फाउंडेशन एजूकेशन कोर्स भी आगरा में हो रहा है। यह न्यूरोसर्जरी में बहुआयामी एवं उच्च गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक सम्मेलन है। होटल जेपी पैलेस एंड कन्वेंशन सेंटर यह आयोजन 29 से 30 अप्रैल 2023 तक संचालित हो रहा है। इसमें देश-दुनिया के जाने-माने न्यूरो चिकित्सा शिक्षक, विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक सहभागिता कर रहे हैं।
आयोजन सचिव एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डाॅ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि यह फाउंडेशन एजूकेशन कोर्स वैश्विक और भारतीय शिक्षकों द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो दुनिया भर के न्यूरो सर्जन्स को सीखने का एक बेहतरीन अनुभव प्रदान करेगा। तकनीकी सत्रों में यूएसए से आए डब्ल्यूएफएनएस के अध्यक्ष प्रो. नेल्सन एम ओयेसिकू ने न्यूरोसर्जरी के भविष्य की दिशा और दशा के बारे में जानकारी दी। वहीं भारत के प्रो. बसंत के मिश्रा ने कहा कि मस्तिष्क काफी संवेदनशील भाग है। नेवीगेशन सिस्टम के जरिए ब्रेन ट्यूमर सर्जरी आसान हुई है। नाक के जरिए की जाने वाली ग्रेन एंडोस्कोपी सर्जरी काफी प्रचलित है।
इजरायल के डाॅ. एंड्रयू काये ने विभिन्न ब्रेन ट्यूमर और उनकी वजह से होने वाले नुकसान, इलाज की नई तकनीक और मरीज को खतरे से बाहर निकालने के सभी विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की। यूएसए के डाॅ. केनन अर्नोटाॅविक ने पिट्यूटरी ट्यूमर की वजह से दृष्टि दोष को कम करने की तकनीकों पर जानकारी दी। जापान के डाॅ. अक्यो मोरिता ने माइक्रोसर्जरी के क्षेत्र का प्रशिक्षण दिया और नई तकनीकों के बारे में बताया। इजराइल के डाॅ. यिगल शोशान ने न्यूरोसर्जरी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग पर जानकारी दी। कार्यक्रम के पहले दिन 35 से अधिक तकनीकी सत्र, वीडियो केस स्टडी और पेपर प्रजेंटेशन व पैनल डिस्कशन हुए।
न्यूरोसर्जरी में तकनीकी विकास से बहुत कुछ बदला : डॉ. आरसी मिश्रा
आयोजन अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ आरसी मिश्रा ने कहा कि न्यूरोसर्जरी एक अति विशाल क्षेत्र है इसलिए इसमें तकनीकी विकास भी कभी न थमने वाला सिलसिला है। इस क्षेत्र में तेजी से तकनीकी विकास हो रहा है। आज मिनीमल इनवेसिव, एंडोस्कोपिक, माइक्रो और रोबोटिक सर्जरी के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी तेजी से बढ़ रही है। यह भविष्य की संभावनाओं को बढ़ाता है। 21 वीं सदी में आज एमआरआई, पेट स्कैन, बेहतर रिजॉल्यूशन युक्त सीटी स्कैन तकनीकें हमारे बीच हैं जिन्होंने खतरों को कम किया है और सफलता दर भी बढ़ी है।
शैक्षणिक हितों, विचारों, नवाचारों को साझा कर रहे दुनिया भर से आए विशेषज्ञ : डॉ. अरविंद कुमार अग्रवाल
आयोजन सचिव एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ अरविंद कुमार अग्रवाल ने कहा कि फाउंडेशन एजूकेशन कोर्स एक माध्यम है। इससे दुनिया भर के विशेषज्ञ शैक्षणिक हितों, विचारों, नवाचारों को साझा कर रहे हैं। पिछले कुछ वक्त में अपने अनुभवों और परिणामों से दूसरों को अवगत करा रहे हैं ताकि लाभ का दायरा आगे बढ़े। दुनिया के एक से दूसरे हिस्से तक जानकारियां पहुंचें और प्रत्यक्ष रूप से मरीजों तक इसका फायदा पहुंचे।