Agra News : Girl’s Health, Mission for Doctor DIDI of Agra #Agra
आगरालीक्स.. आगरा की डॉक्टर दीदी की देश की 75 अग्रणी महिलाओं में गिनती, क्यों न हो.छात्राएं परेशानी में हों तो ‘डाॅक्टर दीदी’ याद आती हैं, शिक्षक भी हैं और सहेली भी, किशोरियों का स्वास्थ्य उनके लिए काम नहीं बल्कि मिशन है, जानें इनके बारे में.
माही (बदला हुआ नाम) की उम्र 12 साल है। उसको स्कूल जाना पसंद है। वह वहां अपनी सहेलियों के साथ खेलती है। इससे पहले सुबह जल्दी उठती है। घर में झाड़ू-पोंछा लगाती है। स्कूल जाने में देरी होने लगती है तो चाय के साथ दो बिस्कुट खाकर ही चली जाती है। स्कूल से वापस आने के बाद भी घर के कामों में मां का हाथ बंटाती है। छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखती है। यह सब निपटाते-निपटाते दिन कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। रात के खाने तक माही बहुत थक जाती है तो आखिर में जो मिले वो खाकर सो जाती है। कब सुबह हो जाती है पता ही नहीं चलता और फिर से वही दिनचर्या शुरू हो जाती है। एक दिन माही को बहुत कमजोरी महसूस होती है। शरीर पर पीलापन आ चुका है। माही में अब पहले जैसी फुर्ती नजर नहीं आती, वह सुस्त रहती है। खुश से भी जैसे रिश्ता टूट गया है। मगर घरवालों को उसमें आ रहे ये मानसिक और शारीरिक बदलाव दिखाई ही नहीं देते। वह बीमार रहने लगती है। धीरे-धीरे स्कूल जाना भी बंद हो जाता है। स्कूल की सहेलियां अब उसे बहुत याद करती हैं। यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन क्या आप बता सकते हैं माही को क्या हुआ है ? इसका जवाब डाॅ. नीहारिका देती हैं कि माही को एनीमिया (खून की कमी) हुई है। दूसरा सवाल, क्या सलोनी को खून की कमी से बचाया जा सकता था ? डाॅ. नीहारिका कहती हैं कि हां उसे बचाया जा सकता था। परिवार के लोग थोड़ा भी ध्यान देते तो ऐसा कभी न होता। सिर्फ माही ही नहीं बल्कि आप जैसी अनगिनत किशोरियों में एनीमिया, मूड स्विंग, पीरियड्स, वेट लाॅस, स्किन, सर्विकल कैंसर, पीसीओएस जैसी सभी समस्याओं को दूर और उनकी रोकथाम की जा सकती है। डाॅ. नीहारिका अपने किशोरी क्लीनिक में मदद करती हैं।

किशोरी क्लीनिक में बयां करती हैं दर्द
नाई की मंडी स्थित अपने मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में डाॅ. नीहारिका किशोरी क्लीनिक चलाती हैं। सप्ताह के हर शुक्रवार शाम चार से छह बजे तक यह क्लीनिक संचालित होता है। बीमारियों में परामर्श और उपचार के अलावा यहां आने वाली लड़कियां अपना दर्द भी बयां करती हैं। उदाहरण के तौर पर डाॅ. नीहारिका बताती हैं कि एक लड़की जो सिर्फ इस वजह से तनाव में है कि उसके पिता अत्यधिक शराब पीते हैं, ऐसे ही एक लड़की जिसके लिए सेनेटरी पैड्स तक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे अनगिनत मामले उनके पास किशोरी क्लीनिक में आते हैं। डाॅ. नीहारिका न सिर्फ काउंसिल करती हैं बल्कि दवाएं, सेनेटरी पैड्स आदि जरूरत होने पर निशुल्क उपलब्ध कराती हैं।
संवेदनाओं से जुड़ा रिश्ता और बन गईं डाॅक्टर दीदी
डाॅ. नीहारिका सिर्फ अस्पताल तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि अपनी मरीजों के जीवन की हर मुश्किल में एक शिक्षिका बनकर उनसे जुड़ी रहती हैं। उनका अपनी मरीजों के साथ रिश्ता सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है बल्कि संवेदनाओं की गहराई तक जुड़ा है। यही कारण है कि वह इन किशोरियों के लिए डाॅक्टर दीदी बन गई हैं।
स्कूल गोद लिए, गरीब लड़कियां पढें़ इसलिए भर रहीं स्कूल फीस
युवा डाॅक्टर नीहारिका मल्होत्रा की बात करें तो उनका योगदान सिर्फ स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि वे लड़कियों की शिक्षा पर भी काफी काम कर रही हैं। उन्होंने कई स्कूलों को गोद लिया है जहां शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराती हैं। बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराती हैं। आर्थिक रूप से असक्षम कई लड़कियों की पढ़ाई न रूके इसलिए उनकी सालाना स्कूल फीस भी अपनी संस्था स्मृति के माध्यम से जमा कराती हैं।
स्कूली बच्चों के साथ समय बिताना है पसंद
डाॅ. नीहारिका को बच्चे बहुत पसंद हैं। काम के बीच वे फुर्सत के कुछ पल निकालकर बच्चों के बीच समय बिताना पसंद करती हैं। वे अपनी स्मृति टीम के साथ स्कूलों में जाती हैं और बच्चों के साथ डांस-धमाल, ड्राइंग-पेंटिंग, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं कराती हैं। इसके अलावा सभी त्योहार भी वे इसी तरह स्कूलों में बच्चों के साथ उपहार बांटकर मनाती हैं।
माता-पिता की पहचान, दादा-दादी की विरासत को बढ़ा रहीं आगे
डाॅ. नीहारिका के मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम का शानदार इतिहास है। विगत 66 वर्षों से यह संस्थान आगरा व आस-पास के क्षेत्र से आने वाले मरीजों विशेषकर महिलाओं को पारदर्शी, कुशल और किफायती चिकित्सा सेवाएं देता आ रहा है। डाॅ. नीहारिका बताती हैं कि उनके दादा-दादी, माता-पिता ने इस बुनियाद को खड़ा किया। फिर नई पीढ़ी मैं और भाई डाॅ. केशव मल्होत्रा बदलाव लाते गए। उनकी मां डाॅ. जयदीप मल्होत्रा और पिता डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा की पहचान पूरे विश्व में है। माता-पिता डाॅ. जयदीप और डाॅ. नरेंद्र दोनों ही फेडरेशन आॅफ आॅब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसायटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष रहे हैं और दोनों को ही यूके के राॅयल काॅलेज की मानद उपाधि से सुशोभित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में पहले निजी नर्सिंग होम की शुरूआत कराने का श्रेय परदादा जी राय बहादुर डाॅ. एसएन मल्होत्रा को जाता है। दादा जी डाॅ. राजेंद्र मोहन मल्होत्रा और दादा जी स्व. डाॅ. प्रभा मल्होत्रा के बाद माता-पिता ने इस विरासत को आगे बढ़ाया और अब मैं और डाॅ. केशव मल्होत्रा भी वही कर रहे हैं। डॉ नीहारिका के दो बच्चे बेटी नीराली और बेटा नवकार हैं।
कई संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं डाॅ. नीहारिका
डाॅ. नीहारिका जितनी प्रोफेशनल उतनी ही सामाजिक भी हैं। पेशे से वे आईवीएफ एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, दो बडे़ अस्पतालों की निदेशक, फाॅग्सी यंग टेलेंट कमेटी कीं चेयरपर्सन हैं तो वहीं सामाजिक रूप से स्मृति संस्था कीं अध्यक्ष और आईएचआरओ आगरा कीं उपाध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा एक रोटरी क्लब, क्लब 35 प्लस समेत कई संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं।
देश की 75 अग्रणी महिलाओं में शामिल, सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों के लिए कई बार हुईं सम्मानित
इतना ही नहीं आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय द्वारा अपनी मां डाॅ. जयदीप मल्होत्रा सहित डाॅ. नीहारिका को देश की 75 अग्रणी महिलाओं में स्थान देते हुए शी इज वूमेन इन स्टीम के दूसरे संस्करण में शामिल किया जा चुका है। सैकड़ों बार सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों के लिए डाॅ. नीहारिका को विभिन्न राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। एक बडे़ मीडिया समूह द्वारा वीर नारी सम्मान भी उन्हें प्रदान किया जा चुका है।
उनकी अगुवाई में हर साल निकलती है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ रैली
वर्ष 2008 में फाॅग्सी के अध्यक्ष रहते हुए डाॅ. नीहारिका के पिता डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा ने ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था। तभी से हर साल आगरा में डाॅ. नीहारिका की अगुवाई में नए साल का आगाज बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं रैली के साथ किया जाता है। हाईवे पर निकलने वाली इस रैली में सैकड़ों स्कूली बच्चे, संस्थाएं और आम नागरिक हिस्सा लेते हैं। इसके ठीक 10 साल बाद वर्ष 2018 में उनकी मां डाॅ. फाॅग्सी कीं अध्यक्ष बनीं और उन्होंने पंख और परवाज दो, नारी को आकाश दो… का नारा दिया। आज डाॅ. नीहारिका अपने माता-पिता के इस मिशन को आगे बढ़ा रही हैं।