Agra News: Grandparents kept waiting, children spent summer holidays at hill station…#agranews
आगरालीक्स…इंतजार में पथरा गईं नाना—नानी की आंखें, बच्चों ने हिल स्टेशन पर गुजार दीं गर्मी की छुट्टियां, ननिहाल नहीं, पर्यटन स्थलों का सैर—सपाटा आया पसंद
आगरा में एक महीने की छुट्टियां खत्म हुईं और बच्चों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। इससे पहले बच्चों ने गर्मियों की छुट्टियां घूमने फिरने में काटीं। अधिकांश बच्चों और उनके माता—पिता से बात करने पर पता चलता है कि वे किसी ने किसी टूरिस्ट प्लेस पर गए। बहुत कम ही ऐसे थे जिन्होंने नाना—नानी के घर जाना पसंद किया हो। इनमें से कई तो ऐसे भी थे जिन्होंने माता—पिता की बात तक नहीं मानी और वे कहीं और घूमने की जिद पर अड़े रहे।
पिछले कुछ वर्षों में गर्मियों की छुट्टियां नाना—नानी के घर बिताने की परंपरा कम होती दिखाई दी है। अब बच्चे नाना-नानी के घर नहीं पर्यटन क्षेत्र में सैर-सपाटा करने एवं धार्मिक स्थलों पर घूमने एवं धार्मिक यात्रा पर जाना पसंद करने लगे हैं। ट्रेनों एवं निजी वाहनों में हुईं बुकिंग भी इसकी गवाही देती हैं। बल्केश्वर स्थित एक टूर एंड टैवल्स के संचालक बताते हैं कि उनके पास हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे स्थानों की बुकिंग सबसे अधिक रहीं। वहीं सदर में एक टैवल एजेंसी से जुड़े धर्मेंद्र ने कहा कि उत्तराखंड समेत पहाड़ों की ओर आगरा के लोगों ने इस बार काफी रूख किया।
नाना—नानी खोए रहे पुरानी यादों में
इधर शहर के कई बुजुर्गों से उनके बच्चों के घर आने की बात पूछी गई तो वे उदास नजर आए। कहा कि हमारे बचपन में गर्मी की छुट्टियां यानी नाना-नानी एवं मामा के घर जाने का वक्त, जिसका इंतजार पूरे साल रहता था। न होमवर्क का बोझ और विज्ञान के मॉडल बनाने की चिंता। इस छुट्टी के आते ही मौजमस्ती का दौर शुरू हो जाता था। सबकी डांट-डपट से दूर नाना-नानी के घर जाना और वहां के दोस्तों के साथ खेलों में कब समय बीत जाता कुछ पता ही नहीं चलता। सैर करना बड़ा अच्छा लगता था। लेकिन अब वो चलन कुछ कम हो रहा है।
आगरा के लोगों को यहां जाना पसंद
टूरिस्ट और टैवल एजेंसी से जुड़े जानकार कहते हैं कि आगरा के लोगों की सबसे पहली पसंद शिमला, हिमाचल प्रदेश के ठंडे शहर हैं। इसके बाद माता वैष्णो देवी, खाटू श्याम, बालाजी, जगन्नाथपुरी, मथुरा-वृंदावन, शिरडी के साईं बाबा, तिरुपति बाला जी, रामेश्वरम आदि धार्मिक स्थल हैं। वहीं इस बार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोगों ने अयोध्या की भी बड़ी संख्या में यात्रा की।
बाग से आम तोड़ने का मजा
सीनियर सिटीजन शशि शिरोमणि अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि बच्चों को नाना—नानी को देखने की तो नाना—नानी को बच्चों के चेहरे देखने की एक्साइटमेंट हुआ करती थी, क्योंकि एक साल में बच्चों में काफी बदलाव आ जाता था। लेकिन मोबाइल फोन पर हर समय वीडियो कॉल और बातचीत ने वह एक्साइटमेंट भी ख्त्म कर दी।
बाग का आनंद उठाते थे
सीनियर सिटीजन राजीव गुप्ता बताते हैं कि उनकी ननिहाल गांव में थी, वो गर्मी की छुटिटयों में खेतों और बाग का आनंद भी उठाते हैं। पड़ोसी के बगीचे से आम तोड़ने का मजा ही कुछ और था। छुट्टी के समय किताबें पढ़ना अच्छा लगता था।