आगरालीक्स…आगरा में किडनी की सर्जरी से पहले मरीज को आया हार्ट अटैक. डॉ. मधुसूदन अग्रवाल और डॉ. वीनिश जैन की जुगलबंदी से बची मरीज की जान….
सर्जरी के बाद अब मरीज पूरी तरह फिट
किडनी की सर्जरी से पहले एक मरीज को हार्ट अटैक आ गया। इससे कैंसर से जूझ रही इस महिला को बचाना अत्यधिक जटिल हो गया, लेकिन दो अलग-अलग विधाओं के डाॅक्टरों ने एक ऐसी प्लानिंग की, जिससे महिला तीन महीनों तक जीवित रहीं, अब सर्जरी के बाद वे पूरी तरह फिट हैं। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
उजाला सिग्नस रेनबो में कराया गया था भर्ती
उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल में एक को-माॅर्बिडिटी महिला मरीज को वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट एवं यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. मधुसूदन अग्रवाल की देखरेख में भर्ती किया गया था। महिला को यूरिन में ब्लड आने की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था। सबसे पहले सोनोग्राफी में पता लगा कि किडनी में एक गांठ है। स्थिति को और साफ करने के लिए सीटी स्कैन कराया गया। इसमें किडनी के मिड पोल में पांच सेंटीमीटर से बड़े ट्यूमर का पता लगा। महिला को 12 साल पहले पैरालाइसिस हो चुका था, इसके अलावा ब्लड प्रेशर की शिकायत थी और हार्ट की दवाएं पहले से चल रही थीं।
दोनों डॉक्टरों ने ऐसे बनाई रणनीति
डाॅ. मधुसूदन ने रेडिकल नेफेक्ट्रम सर्जरी प्लान की, लेकिन इससे पहले ही उसे हार्ट अटैक हो गया। सीपीआर देते हुए क्रिटिकल केयर की टीम ने मरीज को वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ एवं ह्रदय रोग विभाग के अध्यक्ष डाॅ. वीनिश जैन की देखरेख में कार्डियक विभाग में स्थानांतरित किया। यहां उच्च स्तरीय देखभाल के साथ बमुश्किल मरीज की जान बचाई गई, लेकिन ह्दय कमजोर हो जाने के कारण 30 प्रतिशत इजेक्शन फ्रैक्शन हो गया। दुर्भाग्य से किडनी ट्यूमर के कारण मरीज को यूरिन में गंभीर ब्लड लाॅस होता रहा। कमजोर दिल के कारण ब्लड थिनर भी संभव नहीं था। सर्जरी ही एक मात्र रास्ता था लेकिन अब भी एक चुनौती थी कि हार्ट और सर्जरी का जोखिम कम होने तक यूरिन के जरिए ब्लड लाॅस को कैसे कम करें। इसके लिए रणनीति बनाई गई। पहला कदम टोटल रीनल आर्टरी एंबोलाइजेशन था। हालांकि यह भी काफी चुनौती पूर्ण काम था क्योंकि यह कोई छोटी मोटी नस का नहीं बल्कि पूरी किडनी का एंबोलाइजेशन था। यह बहुत जटिल मामला है और आगरा या इसके आस-पास चुनिंदा अस्पतालों में ही संभव है। इससे किडनी की नस के जरिए ब्लड की सप्लाई को रोक दिया गया। इस परक्यूटेनियस प्रक्रिया को डाॅ. वीनिश जैन ने कार्डियक कैथ लैब में जेल फोम और काॅइल का उपयोग करके किया, जिसके परिणामस्वरूप ट्यूमर सहित गुर्दे की धमनी की आपूर्ति पूरी तरह बंद कर दी गई। इससे यूरिन ब्लड लाॅस को रोकने में मदद मिली, रीनल मास को कम करने में मदद मिली और खून को पतला किया जा सका।
एक बार जब ह्दय की स्थिति स्थिर हो गई तो संबंधित किडनी के विशेषज्ञ वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट डाॅ. मधुसूदन अग्रवाल ने एक जटिल सर्जरी में किडनी को बाहर निकाल दिया। इस तरह रोगी को पूरी तरह सुरक्षित किया गया और अब वह अपने घर जा चुकी हैं। हालांकि अप्रैल से शुरू हुई इस गंभीर स्थिति के चलते चिकित्सकों को मरीज की कंडीशन के हिसाब से धैर्य रखना पड़ा। अप्रैल में ही ह्दय का इलाज करने के बाद मरीज को छुट्टी देकर देखभाल के लिए घर भेजा गया। नियमित रूप से अस्पताल बुलाया गया। चिकित्सकों ने देखभाल और इलाज उपलब्ध कराया। स्थिति नियंत्रित होने के बाद दोबारा भर्ती कर रीनल ट्यूमर को निकाला गया।