Agra News: Neurological Society of Agra organized public awareness seminar on brain stroke…#agranews
आगरालीक्स…ब्रेन स्ट्रोक के मामले काफी बढ़ रहे हैं. यह तीन पीढ़ियों को तबाह कर रहा है. विशेषज्ञों ने बताए— क्या हैं ब्रेन स्ट्रोक के संकेत और क्या करें और क्या नहीं
न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ आगरा ने की जन जागरण गोष्ठी
पिछले कुछ समय में ब्रेन स्ट्रोक के मामले काफी बढ़ गए हैं। पहले यह 60 की उम्र के बाद होता था फिर 50 की और अब 40 के बाद ही लोगों को शिकार बना रहा है। यही स्थिति और चिंतानजर हो जाती है, क्योंकि ब्रेन स्ट्रोक अगर 20 से 40 की उम्र में किसी को होता है तो वह अपने लिए कुछ नहीं कर पाएगा, अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाएगा और अपने बूढ़े माता-पिता के लिए कुछ नहीं कर पाएगा। यह कहना है विशेषज्ञों का। आयोजन अध्यक्ष एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ आरसी मिश्रा ने बताया कि न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया के 70वें अधिवेशन अंतर्गत न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ आगरा के तत्वावधान में जन जागरूकता गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें जन प्रतिनिधियों के साथ ही शहर के आम नागरिकों को आमंत्रित किया गया।
आयोजन सचिव एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डाॅ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक अब अधिकांशतः हमारी युवा पीढ़ी को शिकार बना रहा है। यह एक न्यूरोलाॅजिकल स्थिति है जिसमें ब्रेन में अचानक अटैक होता है। हमारे मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करने वाली नसों के फटने या ब्लाॅकेज आ जाने की वजह से ऐसा होता है। जबलपुर के डॉ वाईआर यादव ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक हमारे दिमाग के कुछ हिस्से को क्षतिग्रस्त कर सकता है या फिर इसके अधिक तीव्र होने पर विकलांगता या मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है ताकि समय पर इसका इलाज कराया जा सके। एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रो. दीपक गुप्ता ने ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में गोल्डन पीरियड पर बात की। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ आलोक अग्रवाल और डॉ अरुण सिंह ने भी ब्रेन स्ट्रोक के इलाज पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।

ऐसे पहचानें लक्षणों को
जुबान लड़खड़ा रही है, बोलने में दिक्कत हो रही है, कुछ देर के लिए देखने में दिक्कत आ रही है, चलने में लड़खड़ाहट हो रही है, हाथ-पैर में कमजोरी या झुनझुनाहट आ रही है, अचानक सिर में तेज दर्द, रोशनी में देखने में दिक्कत, शब्दों को भूना, अटकना, शब्दों का चुनाव कर पाना, कुछ समय के लिए दृष्टि बाधित होना। आम तौर पर यह सभी लक्षण आते हैं और एक-दो मिनट में ठीक हो जाते हैं। हम सोचते हैं कि कोई नस दब गई होगी। अगर हम इसे पकड़ लें तो आने वाली बड़ी समस्या से बच सकते हैं। अगर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, काॅलेस्ट्राॅल की समस्या है तो उसे कंट्रोल रखें।
ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को चार घंटे में अस्पताल पहुंचाएं
डाॅ. आरसी मिश्रा और डाॅ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में हमारे पास चार घंटे का समय गोल्डन है। अगर किसी के ब्रेन की नस बंद हो गई है तो उस मरीज को तीन से चार घंटे में अस्पताल पहुंचना जरूरी है। हमारे पास क्लाॅट डिजाॅल्विंग इंजेक्शन होता है, जिसे लगाने पर जल्द ठीक होने की संभावना होती है। भारत में समस्या यह है कि स्ट्रोक के बाद 99 फीसद मरीज चार घंटे में हाॅस्पिटल पहुंचते ही नहीं हैं। आम तौर पर वे अस्पताल पहंुचने में 24 घंटे लगा देते हैं। उससे पहले फालिज का देसी इलाज कराने लगते हैं।