Agra News: Public facility at only two places on 302 km long Agra-Lucknow Expressway…#agranews
आगरालीक्स…302 किमी लंबे आगरा—लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सिर्फ दो जगह जनसुविधा. बढ़ते एक्सीडेंट्स की वजह कहीं ये तो नहीं….
यूपीडा को करना होगा एक्सप्रेसवे के हादसों का खुलासा
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के सड़क हादसों में 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए संकल्पित हैं और हादसों की कमी के लिए जो भी सुझाव प्राप्त होंगे उनको कार्यान्वित किया जायेगा। यह बात उ0प्र0 के प्रमुख सचिव परिवहन लक्को वैंकटेश्वरलु ने वरिष्ठ अधिवक्ता व रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट के0सी0 जैन से विज्ञान भवन दिल्ली में दिनांक 15.03.2023 को हुयी मुलाकात में कही। वार्ता के दौरान प्रदेश के अपर परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा पी0एस0 सत्यार्थी भी थे।
मुलाकात के दौरान जैन द्वारा प्रमुख सचिव वैंकटेश्वरलु का ध्यान आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अभी हाल में 14 मार्च को अत्यन्त ह्नदय विदारक सड़क हादसे की ओर दिलाया गया जिसमें शादी से लौट रहे परिवार के पांच लोगों की अत्यन्त दुःखद मौत हो गयी। इस एक्सप्रेसवे पर यह हादसा जन सुविधाओं की कमी के कारण हुआ। वर्तमान में 302 किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेसवे पर केवल दो स्थानों पर जन सुविधा है एवं पर्याप्त स्थानों पर सुविधा न होने के कारण वाहन यात्री एक्सप्रेसवे पर कहीं भी रूक जाते हैं जो दुर्घटना का कारण बनती है। इस एक्सप्रेसवे पर जन सुविधाओं को बढ़ाया जाये। इस सुझाव पर प्रमुख सचिव ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जन सुविधाऐं बढ़ाने के लिए आश्वस्त किया।

अधिवक्ता जैन ने यह भी बताया कि उ0प्र0 एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा उपलब्ध कराये गये कुछ आंकड़ों के अनुसार आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अगस्त 2017 से मार्च 2018 के 8 महीनों में 858 हादसे हुए जिनमें 100 मौतें हुईं। अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2019 तक 1515 हादसे हुए जिनमें 127 मौतें हुईं उसके बाद के आंकड़े इस एक्सप्रेसवे को बनाने वाली संस्था यूपीडा द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत भी उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। यूपीडा द्वारा पारदर्शिता के साथ इस एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों और उनमें हुयी मौतों का समय-समय पर खुलासा किया जाये। प्रमुुख सचिव द्वारा यह सूचना उपलब्ध कराये जाने हेतु भी आश्वस्त किया।
जैन द्वारा इस एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों का तकनीकी विश्लेषण किये जाने की बात कही ताकि हादसों का कारण उजागर हो सके और उनसे भविष्य में बचा जा सके। वार्ता के दौरान अपर परिवहन आयुक्त सत्यार्थी द्वारा बताया गया कि केवल बड़े सड़क हादसों की ही तकनीकी जांच होती है। प्रत्येक हादसे के तकनीकी परीक्षण की सुविधा नहीं है इसके बारे में विचार किया जायेगा।
वार्ता में यह बात भी रखी गयी कि जिस प्रकार रेल यात्री, हवाई जहाज यात्री व सरकारी बस यात्री का स्वतः इन्श्योरेन्स कवर होता है उसी प्रकार आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे एवं अन्य एक्सप्रेसवे व हाईवे पर टोल लेकर चलने वाले यात्रियों का भी इन्श्योरेन्स कवर हो ताकि यदि कोई दुर्घटना हो जाती है या वह हिट एण्ड रन के शिकार बन जाते हैं तो इस इन्श्योरेन्स कवर के अनुसार उन्हें तुरन्त बीमे की राशि मिल सके। इसके लिए टोल की राशि में बीमे के प्रीमियम की राशि को सम्मिलित किया जा सकता है लेकिन यह व्यवस्था व्यापक राहत के रूप में देखी जायेगी। अपर परिवहन आयुक्त सत्यार्थी द्वारा इस सुझाव पर विचार करने की बात कही गयी।
इस एक्सप्रेसवे पर कुल 10 स्थानों पर स्पीड के कैमरे लगे हैं जो कम से कम 20 जगहों पर होने चाहिए ताकि गति सीमा उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान किया जा सके। यह बात भी प्रमुख सचिव द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार किये जाने के लिए कही गयी।
इस एक्सप्रेसवे के सम्बन्ध में यूपीडा ने सैण्ट्रल रोड रिसर्च इन्स्टीटयूट (सीआरआरआई) के द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर अध्ययन कराया था लेकिन उसकी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया है। इस ऑडिट रिपोर्ट उस संस्था के वेबसाइट पर अवश्य पोस्ट की जाये ताकि वाहन चालक और पब्लिक उसके विषय में जानकर सावधानी बरतें। इस रिपोर्ट को वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जायेगा यह भी आश्वासन प्रमुख सचिव द्वारा दिया गया।
इस एक्सप्रेसवे पर जो सड़क हादसे होते हैं वे अधिकांशतः मध्य रात्रि से भोर होने के बीच में घटित होते हैं क्योंकि इस समय थकान के कारण वाहन चालकों को नींद की झपकी लग जाती है या फिर कुछ वाहन चालक मदिरा पान करने के कारण वाहन पर नियंत्रण खो देते हैं। यही स्थिति राष्ट्रीय राजमार्गों व अन्य एक्सप्रेसवे पर भी देखी जा सकती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि रात्रि 1 बजे से प्रातः 4 बजे के बीच के समय में वाहनों का इस एक्सप्रेसवे पर आवागमन रोका जाये। इस रोक के कुछ अपवाद हो सकते हैं कि यदि किसी को मेडीकल इमरजेन्सी हो, या फ्लाइट पकड़नी हो या अन्य कोई आपातकालीन स्थिति हो। इस सुझाव पर प्रमुख सचिव ने कहा कि यदि केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय के सम्बन्ध में कोई गाईडलाइन जारी करता है तो उसका पालन किया जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव को यह भी बताया गया कि 302 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे अनेकों पुलिस थानों के अन्तर्गत आता है जिसके कारण न तो सड़क हादसों का इकट्टा रिकॉर्ड होता है और न ही कोई एक थाना एक्सप्रेसवे का इंचार्ज होता है जिससे प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह एक्सप्रेसवे दो या तीन थानों के अन्तर्गत ही आना चाहिए ताकि प्रभावी ढंग से एक्सप्रेसवे व हाईवे की सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।