Agra News: Ravan Dahan protest in Agra, Appeal-burning the effigy of the great scholar is an insult to him…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में रावण दहन का विरोध. वंशज बोले-नारी का सम्मान करने की सीख देने वाले महाज्ञानी को जलाना है अपमान
जिस समय पूरे देश मे जगह-जगह रावण के पुतलों को खड़ा कर उसमें आग लगाकर विजय दिवस का जश्न मनाने की तैयारी चल रही थी, उसी समय आगरा के रामलाल आश्रम में रावण के वंशज माने जाने वाले सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोग लंकापति रावण की पूजा कर रहे थे। रावण को भगवान तुल्य मानते हुए हवन कर लोगों को रावण के विचारों को अपने अंदर आत्मसात करने की प्रार्थना की जा रही थी। रावण के वेश में भगवान शिव की आरती के बाद रावण के वेश में सारस्वत ब्राह्मण कन्याओं के चरण धुल कर उनका पूजन कर रहे थे।
आगरा में लोगों को जागरूक करने के लिए दशानन रावण के वंशजों ने आज अनोखा कार्य किया। रावण वंशजों ने रावण का रूप धारण कर कन्या पूजन किया। दशानन रावण स्वरूप में भगवान शंकर की आरती उतारी। हवन कर लोगों से अपील की कि रावण का पुतला दहन न करें। उन्होंने रावण को महाज्ञानी स्त्री का सम्मान करने वाला कुलसंरक्षक और महान संत बताया है। आयोजको का कहना है की रावण ने अगर भगवान राम को खुद विजय का आशीर्वाद न दिया होता तो राम कभी लंका विजय नहीं कर सकते थे। उस महान पंडित ने अपने पूरे कुल के 1 लाख पुत्र और सवा लाख नातियों को भगवान के द्वारा भाव सागर पार करवाया और विभीषण को अभय दान देकर अपना वंश भी खत्म नहीं होने दिया। रावण राक्षस नहीं बल्कि महान ऋषि के ब्राह्मण पुत्र थे।
लोगों से आगे आकर रावण दहन रोकने का आह्वान
लंकापति दशानन रावण महाराज पूजा आयोजन समिति ने शिव तांडव स्त्रोत के रचयिता प्रकाण्ड विद्वान महाराज दशानन एवं महादेव जी की पूजा अर्चना हवन कर आरती की। इसके बाद लंकापति दशानन रावण ने कन्या पूजन किया। लोगों को नारी सम्मान करने के लिए प्रेरित किया। पुतला दहन का विरोध कर देशवासियों से कुप्रथा को मिटाने के लिए आगे आने का आह्वान किया गया। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए भी ऐसा न किये जाने की अपील की। रावण का स्वरूप धारण कर पूजन करने वाले डॉ.मदन मोहन शर्मा ने कहा कि रावण ने राम को लंका विजय की आशीर्वाद दिया था और इसी कारण राम जीत पाए। उनके जैसा प्रकांड विद्वान ब्राह्मण आज तक पृथ्वी पर नहीं आया।
राम को लंका विजय का दिया था आशीर्वाद
सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोगों ने कैलाश स्थित रामलाल वृद्ध आश्रम बद्धेश्वर महादेव शिव मंदिर पर विगत वर्षों की भांति भगवान महादेव की पूजा अर्चना की। साथ ही लंकेश के स्वरूप महाराज दशानन की आरती की गई। लंकापति दशानन रावण महाराज पूजा समिति संयोजक डॉ.मदन मोहन शर्मा व अध्यक्ष एडवोकेट उमाकांत सारस्वत ने इस अवसर पर कहा कि भगवान राम ने सेतु बंधु रामेश्वरम की स्थापना करते समय पूजन की क्रिया स्वयं दशानन रावण से कराई थी और उनका वंदन कर लंका पर विजय का आशीर्वाद लिया था। इस समय दशानन रावण स्वयं सीताजी को अपने साथ लेकर आए थे
युद्ध में भगवान के हाथों मुक्ति पाकर जब दशानन रावण अपना शरीर त्याग कर बैकुंठधाम जा रहे थे तो उस समय भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को राजनीति एवं ज्ञान की शिक्षा लेने के लिए दशानन रावण के पास भेजा था। लक्ष्मण ने उनके चरणों की तरफ होकर ज्ञान लिया था। इतना बड़ा इतिहास होने के बाद भी रावण दहन समाज के लिए एक शूल जैसा है और इस कुप्रथा को खत्म कर जीवन से ऐसे कांटे को निकाल फेंकना चाहिए पूजा मे प्रमुख रुपशिव प्रसाद सारस्वत, अमित सारस्वत, सोनू शर्मा, सारांश सारस्वत, नकुल सारस्वत, पवन कुमार, ध्रुव वर्मा, शिवम चौहान, शिवा वर्मा, दीपक सारस्वत, विनय शर्मा, मनोज कुशवाह, सूर्य प्रकाश सारस्वत, प्रवीण सारस्वत आदि उपस्थित थे