आगरालीक्स…आगरा में साहित्य साधिका समिति ने नव संवत्सर पर की होली की मस्ती सँग माता की भक्ति
आगरा। विक्रम संवत् 2082 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के उपलक्ष्य में साहित्य साधिका समिति, आगरा ने ‘होली की मस्ती, माता की भक्ति’ की थीम एवं नवसंवत्सर के स्वागत में मासिक गोष्ठी का आयोजन नागरी प्रचारिणी के पुस्तकालय कक्ष में किया, जिसका प्रारंभ विजया तिवारी की सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। सभी को चंदन का तिलक लगाया गया और पुष्प वर्षा कर होली का भी आनंद लिया गया। नव वर्ष और नव संवत्सर का अंतर बताते हुए डॉ. नीलम भटनागर ने गोष्ठी का आग़ाज़ किया।
गोष्ठी की अध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व निदेशक डॉ. बीना शर्मा ने नव संवत्सर के महत्व पर प्रकाश डाला और मधुर ब्रज भाषा में बुलावे की तिरोहित होती परंपरा पर भी चर्चा की। डॉ. सुषमा सिंह ने दुर्गा सप्तशती से माता के कवच का पाठ प्रस्तुत किया और रमा वर्मा श्याम की अनुपस्थिति में नारी को महिमामय करती उनकी एक कविता भी सुनाई।
नारी सशक्तीकरण के माह मार्च में अनामिका शर्मा एवं सुधा वर्मा ने नारी जीवन के विविध पहलू उजागर किए। डॉ. रेखा गौतम ने लव जिहाद के ज़िक्र के साथ युवतियों को सावधान किया। डॉ.मधु भारद्वाज ने महिला के व्यक्तित्व के नकारात्मक पक्ष पर प्रकाश डाला और द्रोपदी के माध्यम से नारी अस्मिता को भी रेखांकित किया।
राजकुमारी चौहान ने गर्मी से परेशान होकर ईश्वर को राहत देने के लिए लिखी चिट्ठी सुनाकर सबको गुदगुदा दिया। डॉ.रेखा कक्कड़ ने ‘मोरे कान्हा के घर आज रंग है’ गीत सस्वर प्रस्तुत कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया और ‘अपने अरमानों के रंगों में जीती हूँ ‘ कविता भी सुनाई।
साधना वैद की पंक्तियां हैं-
“हर जगह हर मोड़ पर इन्सान ठहरा ही रहा, वक़्त की रफ़्तार के संग ज़िंदगी चलती रही।”
नीलम रानी गुप्ता ने कठपुतली से जीवन के लिए ईश्वर से शिकायत की। श्वेता सागर ने तो होली का अर्थ ही बदल दिया – “होली -होली, मैं तो प्रभु की होली, अब तो सारा जीवन बदल जाएगा”
कमला सैनी की पंक्तियाँ थीं – “बहारों के मौसम में कली कली रूठी है, संवेदनाएं ढूंढ रहीं रंगों का आकाश।” चारुमित्रा ने देवी माँ को संदेश भेजा- “जाने वाले एक संदेशा मेरी माँ से कह देना, एक दीवानी याद में रोए उसको दर्शन दे देना।”
डॉ. यशोधरा यादव ने अपनी काव्य पंक्तियों के साथ रोचक संचालन किया और माता की भक्ति में लांगुरिया छंद कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया- मैया सिंह सवारी आईं चलके देखो लांगुरिया, चल के देखो लांगुरिया दौड़ि कें देखो लांगुरिया।”
केन्द्रीय विद्यालय से अवकाश प्राप्त श्रीमती गायत्री देवी, कमला नगर से पधारी सुषमा सिंह और डॉ.आभा चतुर्वेदी की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही।