Agra news: Sakat Chauth Tomorrow: A fast is observed for the happiness and prosperity of the family and the success of the son
आगरालीक्स… सकट चौथ कल 10 जनवरी को है। परिवार की सुख-समृद्धि को महिलाएं व्रत रखती हैं। जानिये पूजन मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि।
निर्जल व्रत रखती हैं महिलाएं
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक चतुर्थी, सकट चौथ व्रत के पर्व पर महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती है और गणेश जी की बड़े ही धूमधाम से पूजा करती है। जिससे उनके परिवार पर कभी भी किसी तरह की कोई समस्याएं न आए।
गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है पर्व
सकट चौथ को गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी , संकटा चौथ, तिलकुट चौथ के नाम से जाना जाता हैं। सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय 10 जनवरी दिन मंगलवार को रात्रि 9.00 मिनट पर शुभ मुहूर्त हैं।
🏵 सकट चौथ तारीख:- 10 जनवरी 2023वार:- मंगलवार चतुर्थी तिथि की शुरुआत:-दोपहर 12:09 बजे से
🏵चतुर्थी तिथि समाप्त:-11 जनवरी 2023 दोपहर 02:31 दिन बुधवार
पुत्र की सफलता को महिलाएं रखती हैं व्रत
सभी महिलाएं अपने पुत्र की सफलता के लिए सकट चौथ व्रत को निर्जला रखती हैं। सभी व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को गणेश पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही प्रसाद के साथ खाना खाती हैं। महाभारत काल में श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले सकट चौथ व्रत को ही रखा था। तब से लेकर अब तक सभी महिलाएं अपने पुत्र की सफलता के लिए सकट चौथ व्रत रखती हैं
संकट चौथ पर गणेश की ऐसे करें पूजा
♦ गणेश की पूजा करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए
♦ गणेश की पीठ के दर्शन भूलकर भी न करें
♦ गणेश जी को दुर्वा, पुष्प, रोली, फल सहित मोदक व पंचामृत को पूजन में अवश्य शामिल करें
♦ गणपति का विधिवत रूप से स्नान करके उनकी पूजा करें
♦ सकट चौथ के दिन गणेश को तिल के लड्डू चढ़ाने का भी विशेष महत्व माना जाता है
♦ गणेश की पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा अवश्य सुनें, एवं गणपति की आरती करें
♦ॐ गणेशाय नम: अथवा ॐ गं गणपतए नम:, मंत्र का जाप बहुत ही शुभ माना जाता है
संकट चौथ की यह है पौराणिक व्रत कथा
🔥 माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ व्रत को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के राज में एक ब्राम्हण व उसकी पत्नी भी रहते थे। एक समय उनका एक पुत्र की प्राप्ति हुई और कुछ समय बाद वे मृत्यु को प्राप्त हो गए। ब्राम्हणी दुखी लेकिन पुत्र के जीवन को संवारना ही उसका लक्ष्य था। अतः वह गणपति का चौथ का व्रत रखते हुए उसकी परवरिश करने लगी। एक दिन एक कुम्हार ने बच्चे की बलि अपनी कन्या के विवाह के उद्देश्य से धन के लिए दे दी। इसके बाद वह कष्टों में घिर गया जबकि बच्चा खेलता हुआ मिला। यह वृत्तांत जब राजा हरिशचंद्र को सुनाया गया तो वह उसने व्रत की महिमा बताई
🏵 तिल चौथ‘ सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय 10 जनवरी दिन मंगलवार को रात्रि 09:00 बजे पर शुभ मुहूर्त हैं। सबसे पहले सभी महिलाएं गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करें और फ़िर तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाकर गणेश की पूजा की जाती है।
‘ॐ गणेशाय नमः का जाप
सकट चौथ पर 108 बार गणेश मंत्र – ‘ॐ गणेशाय नमः’ का जाप करें, अपने हर दुःख को भगवान गणेश से कहे। इससे आप पर आने वाली हर समस्या का समाधान हो जाएगा और जो भी परेशानियां आएंगी उससे भी मुक्ति मिल जाएगी