Agra News: Action on medical store for selling used injections
Agra News: Senior writer Dr. Madhu Bhardwaj’s collection of stories and poems was launched…#agranews
आगरालीक्स…आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज के कहानी संग्रह ‘दरकते रिश्ते, ढहती दीवारें’ और काव्य-संग्रह ‘भावों की टोकरी’ का विमोचन
आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज के भावना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कहानी- संग्रह ‘दरकते रिश्ते, ढहती दीवारें’ और निखिल पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित काव्य-संग्रह ‘भावों की टोकरी’ का विमोचन बुधवार शाम नागरी प्रचारिणी सभा में आगरा और देश के गणमान्य साहित्यकारों द्वारा किया गया।
दोनों ही संग्रहों पर समग्र रूप से अपने मनोभाव प्रकट करते हुए रचनाकार डॉ. मधु भारद्वाज ने अपनी काव्य-पंक्तियों के माध्यम से कहा कि “आँधियाँ आईं, कितने तूफान चले। आए कितने जलजले। दीवारें ढहती रहीं। रिश्ते सब दरकते रहे। कदम मेरे डिगे नहीं। आँसू मेरे बहे नहीं। एक छोटी सी खुशी के लिए। इंतज़ार में हूँ। भावों की टोकरी लिए..” समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार डॉ. सोम ठाकुर ने की।
आगरा के प्रधान आयकर आयुक्त प्रथम नैयर अली नज्मी समारोह के मुख्य अतिथि रहे। श्री नैयर अली नज्मी ने इस मौके पर कहा कि डॉ. मधु भारद्वाज की कहानियों के पात्र हमारे ही आसपास के समाज से प्रभावित और प्रेरित हैं। भाषा पर रचनाकार की पकड़ सहज ही दिल छू लेती है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीमती कुसुम चतुर्वेदी ने इस अवसर पर डॉ. मधु भारद्वाज को शुभाशीष प्रदान करते हुए उनकी रचना धर्मिता को यूं सराहा – ” साहित्य जगत की हो तुम मधु ऋतु, नवचेतन की धड़कन नूतन..”
आगरा पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. महेश शर्मा भी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे। कहानी संग्रह की समीक्षा करते हुए आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा सिंह ने कहा कि इन कहानियों में कहीं भाषागत तो कहीं विचारगत सौंदर्य विद्यमान है। कहानियों में व्यक्त हुए संदेशों तक पहुँचना जहाँ पाठक से प्रबुद्धता की माँग करता है, वहीं लेखिका की संप्रेषण क्षमता का भी प्रमाण होता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि नारी उत्पीड़न को लक्ष्य बनाकर डॉ. मधु भारद्वाज ने इस कहानी-संग्रह में सामाजिक जीवन- खासतौर से रोजमर्रा की पारिवारिक घटनाओं को न केवल मार्मिक ढंग से उकेरा है, वरन् सामाजिक जीवन की उलझनों को समाधान प्रदान करने की भी एक कोशिश की है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शैलबाला अग्रवाल ने कहा कि डॉ. मधु की रचना धर्मिता उनकी जीवंतता और हौसले का सशक्त प्रमाण है। उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त होकर भी कलम साधे रखी और दो नवीन कृतियों का सृजन कर हिंदी साहित्य कोश को समृद्ध किया।
उन्होंने काव्य-संग्रह की समीक्षा करते हुए कहा कि संग्रह की हर कविता नाम के अनुरूप भावपूर्ण है। भाव प्रसूनों की भरी हुई टोकरी है। सुदर्शन व्यक्तित्व की स्वामिनी, मृदु मुस्कान और मृदुल व्यवहार वाली मधु जी इन कविताओं में अपने नाम को सजीव करती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार अशोक अश्रु ‘विद्यासागर’ ने काव्य-संग्रह की समीक्षा करते हुए कहा कि इस संग्रह में कहीं पीड़ा मुस्कुराती है, कहीं आत्मा प्रकृति का स्पर्श पाती है तो कहीं कोई कविता फूलों की गंध मुक्त मधु यात्रा का अनुभव करवाती है। कुल मिलाकर भावों की टोकरी मानव मन के निश्चल भावों की अभिव्यक्ति है।
वरिष्ठ रंगकर्मी एवं पत्रकार अनिल शुक्ल ने कहा कि “मधु भारद्वाज की कहानियों की नायिकाएँ न सिर्फ महिला होने के नाते समाज का दंश झेलने को अभिशप्त हैं बल्कि वे नन्ही बच्चियाँ भी महज़ इसलिए सामाजिक नफ़रत का शिकार होती हैं कयोंकि पुरुष सत्तात्मक समाज में उन्होंने नारी रूप में जन्म लिया है।” जाने माने चिंतक और विचारक डॉ. सीपी राय ने कहा कि मधु जी के लेखन में स्त्री संघर्ष और स्त्री विमर्श का मार्मिक अंकन है।
आगरा आकाशवाणी केंद्र के निदेशक कवि नीरज जैन, हास्य-व्यंग्य के लोकप्रिय कवि पवन आगरी और रिमझिम वर्मा ने भी सारगर्भित विचारों से डॉ. मधु भारद्वाज की रचना धर्मिता को सराहा। इससे पूर्व श्रीमती रमा वर्मा ने मां शारदे की वंदना की। दीप्ति भार्गव, यशोधरा यादव यशो और आकांक्षा शर्मा ने अतिथियों का परिचय दिया। सामाजिक कार्यकर्ता और जाने-माने मंच संचालक हरीश सक्सेना चिमटी ने अतिथियों के स्वागत के साथ-साथ कहानी संग्रह का परिचय भी दिया। अनिल उपाध्याय ने संचालन किया।
डॉ नीलम भटनागर, डॉ. नीतू चौधरी, अवनीश अरोरा, ममता पचौरी, पूनम वार्ष्णेय, डॉ. हृदेश चौधरी, संजय गुप्त, किरन शर्मा, रामेंद्र शर्मा, कल्पना शर्मा, अनिल शर्मा, रेखा गौतम, रेनू उपाध्याय, प्रकाश गुप्ता बेबाक, डॉ. महेश धाकड़, नंद नंदन गर्ग, और कुमार ललित भी आयोजन में प्रमुख रूप से शामिल रहे।