Agra News: Shri Krishna’s Janmotsav celebrated with pomp in Shrimad Bhagwat Katha…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में धूमधाम के साथ मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव. बिरज में हुई जय—जयकार, नंद घर लाला जायो है…श्रीमद्भागवत कथा में मनाया नंदोत्सव
भक्ति का ऐसा आनन्द जो परमानन्द बन गया। कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव होते ही हर तरफ राधा-कृष्ण के जयकारे जयकारे गूंजने लगे। कथा स्थल को आज विशेष रूप से पुष्प व गुब्बारों से सजाया गया था। भक्त भी गोपी और सखा के रूप में सज धज कर कथा श्रवण करने पहुंचे। मानों कथा स्थल नंदगांव बन गया, जहां हर श्रद्धालू श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की खुशियों में डूबा था। खूब उपहार लुटाए गए। मंगल गीत गाए।
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श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा विजय नगर स्थत स्पोर्टबज में आज श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास पूज्य श्रीमृदुल कान्त शास्त्री ने श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की कथा सुनाई। समुन्द्र मंथन की कथा का वर्णन करते हुए कहा श्रीहरि के कच्छप, मोहिनी व धनवन्तरी स्वरूप का वर्णन किया। वामन अवतार की कथा की व्याख्या करते हुए कहा कि भक्तों के लिए भगवान किसी के सामने हाथ भी फैला सकते हैं। भगवान के प्रति भाव हो तो विषाद बी प्रसाद बन जाते है। जीवन का सुख बड़ा बनने में नहीं बल्कि संतुष्ट रहने में है। इस अवसर पर मुख्य रूप से राज्य मंत्री राकेश गर्ग, अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, महामंत्री उमेश बंसल, संयोजक संजय गोयल, संजय मित्तल, भगवानदास बंसल, अनिल ग्रवाल, जितेन्द्र बंसल, उमेश कंसल, राकेश शरद, प्रमोद ग्रवाल, अंशु अग्रवाल, मधु गोयल, शशि बंसल, मीनू त्यागी आदि उपस्थित थीं।
दहेज मांग कर अपने बच्चों की बोली न लगाए…
कथा व्यास पूज्यश्री मृदुल कान्त शास्त्री ने समुन्द्र मंथन से प्रकट हुई माता लक्ष्मी व नारायण के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि विवाह वह संस्कार है, जिसमें दिखावा नहीं होना चाहिए। मांग कर या उपहार स्वरूप दहेज लेने की प्रथा का विरोध करते हुए कहा कि अपने बच्चे को बेचकर जिस बहू को घर लाएंगे, उसका व्यवहार कैसा होगा समझ लीजिए। शराब की लत से दूर रहने का संदेश देते हुए कहा कि जहर भोजन की थाली से महंगा है। शराब ऐसी चीज है जो आपका धन, स्वास्थ और परिवार और कुल सब छीन लेता है। लोग मंगल अवसर पर भी शराब के रूप में जहर पीते हैं। हम आसुरी शक्ति के अधीन हो रहे हैं। संस्कार खत्म हो रहे हैं। धर्म की व्याख्या करते हुए धर्म का अर्थ केवल छप्पन भोग लगाना नहीं। अपने आचरण और व्यवहार को अच्छा वनाए रखें। बाहर से इत्र छिड़कने के बजाय अपने चरित्र को सुगंधित बनाए कि सब आपका सम्मान करें।