Agra News : Sugar mixture given to bees to save life by Bee keeper’s in Agra, Known Honey process #agra
आगरालीक्स….. आगरा में मधुमक्खियों की जान बचाने को चीनी का घोल पिलाया जा रहा है, जानें फूल चूसकर मधुमक्की कैसे बनाती हैं शहद, चीनी की क्यों पड़ी जरूरत.

आगरा में बड़े स्तर पर शहद का कारोबार किया जा रहा है, इसके लिए मधुमक्खी पालन किया जाता है। बड़ी संख्या में मधुमक्खियों को एक बाॅक्स में रखा जाता है, इस बाॅक्स में प्लेट होती हैं, ये प्लेट जिस तरह से मधुमक्खी पेड़ों पर अपना छत्ता रखती हैं उसी तरह का होता है।
इस तरह मधुमक्खी बनाती हैं शहद
मधुमक्खियों की दो श्रेणी होती है, पहली श्रेणी की मधुमक्खियों का काम फूलों से रस चूसना और उसे अपने विशेष तरह के पेट में रखना जिसमें शहद रखा जाता है। इसके बाद ये मधुमक्खी छत्ते पर आ जाती हैं और दूसरी श्रेणी की मधुमक्खी जो फूलों के रस से शहद बनाती हैं उन्हें वह अपने विशेष तरह के पेट में स्टोर किए गए रस को दे देती हैं। ये दूसरे तरह की मधुमक्खी इस रस को 30 मिनट तक चबाती हैं, चबाने के दौरान एंजाइम का स्राव होता है, यही एंजाइम फूलों के रस को शहद और पानी के मिश्रण में बदल देता है। इस शहद और पानी के मिश्रण को मधुमक्खी छत्ते में डाल देती हैं, हवा की गर्मी से पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है और दूसरी मधुमक्खी छत्ते के छिद्रों को जिसके अंदर शहद है उसे मोम से बंद कर देती हैं जिससे यह सुरक्षित रहे। मधुमक्खी यह प्रक्रिया इसलिए करती हैं कि मधुक्खी का भोजन शहद होता है, यानी मीठा, यह उन्हें फूलों के रस से मिल जाता है लेकिन फूल 12 महीने नहीं रहते हैं। उस दौरान छत्ते के शहद से मधुमक्खी अपनी जान बचाती हैं और भोजन करती हैं। इन छत्तों से ही शहद निकाला जाता है कुछ हिस्सा मधुमक्खियों के लिए छोड़ दिया जाता है जिससे वे जिंदा रहें।
बारिश और ओले गिरने से फूल नष्ट, मधुमक्खियों पर संकट
आगरा में इरादतनगर क्षेत्र में मधुमक्खियों का बड़े स्तर पर पालन होता है लेकिन पिछले कुछ दिनों से हुई बेमौसम बारिश और ओले गिरने से फूल नष्ट हो गए हैं। ऐसे में मधुमक्खी पालन करने वाले परेशान हैं। वे शहर में जगह जगह मधुमक्खियों के बाॅक्स लेकर घूम रहे हैं जिससे फूल मिल जाएं लेकिन फूल नहीं हैं, इससे मधुमक्खियों के जीवन पर संकट आ गया है।
चीनी का घोल देकर बचा रहे जान
इस परिस्थित में मधुमक्खी पालक ने वैकल्पिक तरीका निकाला है। चीनी का घोल तैयार कर रहे हैं, इस घोल को पाॅलीथिन में भरा जाता है। पाॅलीथिन में छोटे छोटे छिद्र किए जाते हैं और मधुमक्खी के बाॅक्स पर रख दिया जाता है। पाॅलीथिन के छिद्र से प्लेटों पर चीनी का घोल पहुंचता है, मधुमक्खी इसी को शहद मानकर अपना भोजन कर रही हैं और जिंदा हैं। मधुमक्खी पालकों का कहना है कि इस बार शहद का उत्पादन कम होगा।