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Agra News: The E-rickshaw story, How much did electric mobility change Agra? #Agra

आगरालीक्स… आगरा में इलेक्ट्रिक—रिक्शा ने आॅटो—रिक्शा को रिप्लेस ​किया, 10 जनवरी से इन इनका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। 11000 ई—रिक्शा सड़कों पर पहले से हैं। इनसे आगरा कितना बदला, यह ट्रेंड पर्यावरण और लोगों के लिए सेहतमंद है, आपकी क्या है राय ?

आगरा में 10 जनवरी से आॅटो और ई—रिक्शा का पंजीकरण नहीं होगा। कारण इनकी अधिकता और सड़कों पर लगने वाला जाम बताया जा रहा है। अभी यहां 11000 इलेक्ट्रिक और 6000 आॅटो रिक्शा सड़कों पर घूम रहे हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक रिक्शा की एंट्री के बाद ईधन से चलने वाले आॅटो रिक्शा रिप्लेस होने लगे हैं। ऐसे में एक बड़ा फायदा यह भी नजर आता है कि यह ईवी का यह बढ़ता ट्रेंड पर्यावरण और लोगों के​ लिए हेल्दी साबित हो सकता है।
ई—रिक्शा की खूबियों की बात करें तो इसमें पता ही नहीं चलता कि बैटरी सीट के नीचे है। देहली गेट पर इलेक्ट्रिक—रिक्शा चलाने वाले राजू अपने ई रिक्शा का बहुत ध्यान रखते हैं। जब हमने उनसे बात की तो वे अपने रिक्शा की सफाई कर रहे थे। सफाई करते—करते राजू ने कहा कि यह बेहद जरूरी है क्योंकि ग्राहकों को सफाई पसंद है और यही रिक्शा हमें कमा कर देती है। आगरा के ज्यादातर रिक्शा चालक पेट्रोल और ईधन के बिना चलने वाले रिक्शा ले रहे हैं। यह डिमांड इतनी ज्यादा है कि इनके पंजीकरण पर रोक लगानी पड़ी है।

इलेक्ट्रिक की तुलना में आधे रह गए ईधन रिक्शा

यह एक बड़ा बदलाव है कि आगरा की सड़कों पर अब इलेक्ट्रिक रिक्शा ज्यादा और ईधन वाले रिक्शाा कम हो गए हैं। यह लगभग आधे ही रह गए हैं। इससे साफ है कि इलेक्ट्रिक गाडियों का बाजार बढ़ रहा है और एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके कई कारण हैं। जलवायु और आर्थिक।

पंजीकरण पर रोक से परेशान

सिंह आॅटोमोबाइल्स के बनवारी लाल कहते हैं कि शुरू में जब यह आए थे कम ही खरीदे जाते थे, लेकिन भारत सरकार ने इस क्षेत्र में काफी निवेश किया है जिसकी वजह से अब बहुत खरीदे जाने लगे हैं। हालांकि इनके पंजीकरण पर रोक लग जाने से वे काफी मायूस और परेशान भी हैं।

वन टाइम इनवेस्टमेंट

धनौली के रहने वाले संजय से जब हमने बात की तो वे ई रिक्शा खरीदकर शोरूम से बाहर निकले थे। संजय बहुत खुश थे कि उन्होंने ई—रिक्शा लिया है। उन्होंने कहा कि आप कोई भी फोर व्हीलर लेते हैं तो वह एक लीटर में महज 20 किलोमीटर ही चलेगी और इसमें एक लीटर पेट्रोल या डीजल का खर्च भी 80 से 100 रूपये तक आएगा जबकि इलेक्ट्रिक रिक्शा एक बार चार्ज होने में तकरीबन 50 रूपये की बिजली खाते हैं और 100 किलोमीटर चलते हैं। देखा जाए तो यह वन टाइम इनवेस्टमेंट की तरह है।

खरीद ही नहीं रखरखाव में भी किफायती

बल्केश्वर के रहने वाले ई रिक्शा चालक प्रशांत ने कहा कि कम स्पीड वाले ई रिक्शा जिसे हम टिर्री भी कहते हैं की कीमत तकरीबन 1 लाख 60 हजार रूपये है, फाइनेंस कराने पर यह वाहन 2 लाख रूपये का पड़ता है, इससे हाई स्पीड व्हाइट कलर का इलेक्ट्रिक आॅटो 4 लाख रूपये का पड़ता है। जबकि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले आॅटो रिक्शा की कीमत 6 से 7 लाख रूपये तक है। मतलब वह महंगा भी पड़ता है और बार—बार पेट्रोल—डीजल डलाने से खर्चा भी अधिक आता है।

सवारियों के लिए भी नया अनुभव

इधर इलेक्टिक रिक्शा सवारियों के लिए भी बिलकुल नया अनुभव है। न्यू आगरा निवासी पुनीत कहते हैं कि यह कहीं भी मिल जाता है। इसमें पेट्रोल का इस्तेमाल नहीं होने से पर्यावरण दूषित नहीं होता। बच्चों को स्कूल छोड़ना हो, सब्जी लेने बाजार जाना हो, मैं इसी का इस्तेमाल करता हूं। एक अन्य यात्री अंकित ने बताया कि ई रिक्शा लो फ्लोर होने की वजह से इसमें उतरने और चढ़ने में भी आसानी होती है।

कोविड के बाद अचानक बढ़ने लगी संख्या

शुरू में आगरा में एक या दो ही शोरूम थे लेकिन अब इसके शोरूम बहुत ज्यादा हैं। कोविड के बाद से आगरा में ई रिक्शा अचानक बढ़ने लगे। लोगों का माइंड अब धीरे—धीरे ईवी की तरफ शिफ्ट हो रहा है। यह टेंड पर्यावरण के लिए भी सेहतमंद है और लोगों के लिए भी।

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