Agra News : Thela Bank for Polythene Free Agra #agra
आगरालीक्स…आगरा में पाॅलिथिन से छुटकारे के लिए ‘थैला बैंक’, मंडियों, बाजारों में 5-10 रूपये में मिल रहा 20-30 वाला थैला फिर भी पॉलीथिन में सामान ले जा रहे लोग, कैसे प्लास्टिक मुक्त होगा आगरा ?
आगरा में लोगों की सुविधा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए बीते दिनों नगर निगम ने थैला बैंक की योजना शुरू की थी, लेकिन पब्लिक के कम रिस्पांस से लगता है कि पर्यावरण को लेकर हम अब भी नहीं चेते हैं। मंडियों और बाजारों में हर कहीं वही प्लास्टिक बैग नजर आ रहे हैं और निगम की टीम द्वारा लगातार चालान भी किए जा रहे हैं। बाजारों में पलास्टिक के प्रयोग को देखकर इतना तो समझ आता है कि जब तक ग्राहक अपनी सुविधा के लिए इस प्लास्टिक बैग को लेना बंद नहीं करेंगे तब तक दुकानदार इन्हें रखना बंद नहीं करेंगे। हालांकि यह समस्या दोतरफा है। दुकानदार कहते हैं कि अगर ग्राहक थैला लेकर आए तो उन्हें पाॅलिथिन रखना उनकी मजबूरी न बने। यह कोई नहीं चाहता कि ग्राहक बिना सामान खरीदे ही लौटकर जाए या किसी दूसरी दुकान से जाकर सामान ले।
बता दें कि अभिनव पहल के तहत नगर निगम ने शहर के बाजारों और मंडियों में थैला बैंक की योजना शुरू की थी। इसके तहत महिलाओं के रोजगार और स्वावलंबन से जुडे़ संगठनों द्वारा बनाए गए थैले पहले नगर निगम खरीदता है और फिर 5 से 10 रूपये में बाजारोें में स्टाल लगाकर ग्राहकों को उपलब्ध कराता है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बाजारों में स्टाॅल तो लग रहे हैं लेकिन जनता का रूझान यह थैले खरीदने में नहीं है। वे आज भी पाॅलिथिन के भरोसे ही हैं। इसे देखकर लगता है कि अभी भी प्लास्टिक मुक्त शहर को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने और लोगों को प्लास्टिक के हमारे जीवन व पर्यावरण पर दुष्प्रभाव समझाने की जरूरत है।
महिलाओं को मिलेगा रोजगार
थैला बैंक का एक अप्रत्यक्ष लाभ यह भी है कि इनसे महिलाओं को रोजगार मिलेगा। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कपड़े के थैले बनाएंगी तो उनको भी हाथ खर्च मिलेगा, लेकिन यह तभी संभव है जब मार्केट में इन थैलों की बिक्री हो।
थैला बैंक को मार्केटिंग की जरूरत
इस बारे में जानकारों का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि थैला बैंक एक अनूठी और अभिनव पहल है, लेकिन मार्केटिंग की कमी महसूस होती है। प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले नुकसान को हम सभी जानते हैं, इसलिए काॅटन के थैले बनने के बाद इनकी सप्लाई के लिए शहर के व्यापारिक संगठनों से भी बातचीत की जा सकती है। फिलहाल ज्यादा से ज्यादा लोगों के हाथ में थैला पहुंचाना एक बड़ा टास्क तो है।
एक बार फिर झकझोरने की जरूरत
हालांकि इस बारे में इतनी बात की जा चुकी है कि लोग प्लास्टिक से पर्यावरण और हमारे जीवन पर होने वाले दुष्प्रभाव से भली भांति वाकिफ हैं बावजूद इसके जागरूकता की आवश्यकता पड़ रही है। नाले नालियां चैक हो जाने, बीमारियां फैलने और पाॅलिथिन खाकर जानवरों की मौत हो जाने जैसे मुद्दों पर लोगों को एक बार फिर झकझोरने की जरूरत है।