आगरालीक्स…(शरद माहेश्वरी) आगरा की एक बड़ी इंडस्ट्री का आधा शटर डाउन हो गया है. तीन महीने में दोगुने हो गए हैं रॉ मैटेरियल के रेट. कई फैक्ट्रीज में मशीनें करनी पड़ी हैं बंद.
प्लास्टिक दाने पर निर्भर हैं दो से तीन हजार फैक्ट्रियां
आगरा सिर्फ ताजमहल से ही नहीं जाना जाता बल्कि यहां के उद्योग भी विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं. जूता उद्योग और पेठा उद्योग के साथ एक और इंडस्ट्री है जो देश और विदेश में आगरा की एक अलग पहचान रखती है. ये है प्लास्टिक इंडस्ट्री. आगरा में इस समय छोटी—बड़ी कुल मिलाकर करीब दो से तीन हजार फैक्ट्रीज हैं, जहां आम आदमी की छोटी—मोटी सभी जरूरतमंद के सामान जैसे—प्लास्टिक की कुर्सी, ब्रुश, टॉयलेट ब्रुश, प्लास्टिक के कप, वाइपर, प्लास्टिक की प्लेट, इलेक्ट्रिक बोर्ड, इलेक्ट्रिकल आइटम्स, केबिल, पाइप, क्रॉकरी, पीवीसी पाइप आदि बनाए जाते हैं. लेकिन कोरोना काल के कारण वर्तमान समय में आगरा की इस इंडस्ट्री पर संकट पैदा हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह प्लास्टिक दाने के आयात में कमी और दामों में तेजी से बढ़ोतरी होना है.

तीन महीने में डबल हो गए हैं प्लास्टिक दाना के रेट
कारोबारी अनुज माहेश्वरी के अनुसार पिछले तीन महीने में प्लास्टिक दाने के रेट डबल हो गए हैं. तीन महीने पहले प्लास्टिक दाना 80 रुपये किलो मिल रहा था वह अब 172 रुपये किलो के करीब पहुंच गया है. उनका कहना है कि इसके कारण आगरा की इन औ़द्योगिक इकाइयों को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि इन इकाइयों में उत्पाद बनाने की निर्भरता सिर्फ प्लास्टिक दाना पर ही टिकी हुई है. जनपद में आने वाला अधिकांश प्लास्टिक का दाना इम्पोर्ट किया जाता है लेकिन इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने और आयात कम होने के बाद प्लास्टिक दाना के रेट डबल हो गए हैं, जिसके कारण इन फैक्ट्री में प्रोडक्शन आधा हो गया है.

फैक्ट्री में मशीने पड़ी हुई हैं बंद
एक और कारोबारी अजय राठी का कहना है कि आगरा में बने प्लास्टिक के उत्पाद देश के कोने—कोने में जाते हैं और अपनी एक अलग पहचान रखते हैं लेकिन चीन व ईरान से प्लास्टिक दाना आयात न होने के चलते देश में प्लास्टिक दाना तैयार करने वाली कंपनी ने अपने माल पर पैसा बढ़ा दिया है. पिछले तीन माह में देशी प्लास्टिक दाना दो गुना से अधिक महंगा हो गया. इसके कारण आगरा में उत्पादन आधा हो गया है और इसका सीधा असर रोजगार पर भी पड़ा है. उन्होंने कहा कि आगरा की लगभग आधी प्लास्टिक इंडस्ट्री में मशीनें बंद पड़ी हुई हैं. काम न होने के चलते लोगों का रोजगार भी छिन चुका है.